भगवान राम के राजतिलक का संपूर्ण वर्णन विस्तार सहित मय मूर्ति स्थापित होना चाहिए

 


हरिद्वार। श्यामपुर स्थित श्री श्याम वैकुंठ धाम तथा श्री हनुमान शिव मंदिर सभापुर दिल्ली दरबार के परम अध्यक्ष श्री महंत श्यामसुंदर दास जी महाराज ने श्री राम भक्तों की इच्छा के अनुरूप दिल्ली श्री बालाजी दरबार सभापुर में राम भगवान के जन्म लेने से राजतिलक तक का महिमा पूर्ण वर्णन सुंदर तथा दिव्य अद्भुत मूर्तियों के माध्यम से अनूठा संग्रह भक्तजनों के लिए स्थापित किया चाहे राम जन्म हो या गुरु धाम में शिक्षा ग्रहण करने का वर्णन हो वन जाने का तड़का का वध का वर्णन हो या माता सीता का हरण करने वाले असुर रावण के वध का दृष्टांत हो या युद्ध जीतने के बाद अयोध्यापुरी आगमन हो राम का राजतिलक हो ऐसे सुंदर भाव पूर्ण दृश्य मूर्तियों के माध्यम से भक्तों के राम दर्शन हेतु उनके कल्याण हेतु दरबार में 30 वर्षों से स्थापित है। जब लंबे समय तक भगवान राम को नींद नहीं आई तो दरबारी चिंतित हुए तथा राज वैद्य बुलाये गई किंतु समस्या का निदान नहीं हुआ तब गुरु वशिष्ठ जीने हनुमान जी को दरबार में बुलाया तब हनुमान जी ने चुटकी बजाना बंद किया तब जाकर समस्या का निधान हुआ सत्य को कोई ना त्यागो भैया शत पर दुनिया सारी सत्य के कारण हरिश्चंद्र ने छोड़ दी राजधानी काशी जाकर कर किया गुजारा। भरा नीच घर पानी सत्य के करण रामचंद्र ने छोड़ दी अयोध्या राजधानी वन जाकर की तपस्या। जिनकी उमरिया बाली गुरु के आदेश पर तड़का भवतारी रावण की सारी भुजा उखड़ी दिनन के दुख सुनकर राम किया असुरों का काम तमाम। महंत श्यामसुंदर दास जी ने कहा अयोध्या जी में भव्य राम मंदिर में राम मंदिर मूर्ति की प्राण प्रतिष्ठा हो चुकी है। पूरे देश में उत्साह की लहर है। उन्होंने कहा अयोध्या जी में भगवान राम के राजतिलक का संपूर्ण वर्णन विस्तार सहित मय मूर्ति स्थापित होना चाहिए। श्री हनुमान शिव मंदिर सभापुर बालाजी मंदिर दिल्ली में संपूर्ण राम मंदिर का दृष्टांत 30वर्षों पूर्व श्री महंत श्यामसुंदर दास जी महाराज स्थापित कर चुके हैं। वहां आए दिन भक्तगण दर्शन कर अपने जीवन को धन्य करते रहते हैं। श्री महंत श्यामसुंदर दास जी महाराज ने राम मंदिर में भी संभापुर दिल्ली दरबार के सामान पुरा राम दरबार का पूरा कार्यवृत मयमूर्ति श्री राम मंदिर अयोध्या में भी स्थापित होना चाहिए ताकि भगवान राम की संपूर्ण महिमा का दृष्टांत अपनी आंखों से देखकर भक्त अपने जीवन को धन्य और कृतार्थ कर सके।