एक धर्म वालों की आस्था का केंद्र नहीं बल्कि भगवान राम तो जीवन जीने का तरीका हैं

 हरिद्वार। दुनिया और देश में राम नाम की गूंज है,क्योंकि 22जनवरी ,सोमवार को भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा हो रही है, जिसका हर राम भक्त को बेसब्री से इंतजार था। इस भव्य उत्सव को देखने और उसमें शामिल होने के लिए दुनियाभर से राम भक्त अयोध्या पहुंच रहे हैं। राष्ट्रीय मानव अधिकार संरक्षण समिति ट्रस्ट की राष्ट्रीय सचिव रेखा नेगी ने कहा कि भगवान राम महज जन-जन की भावना नहीं हैं या फिर सिर्फ किसी एक धर्म को मानने वालों की आस्था का केंद्र नहीं है,बल्कि भगवान राम तो जीवन जीने का तरीका हैं। फिर चाहे वह रिश्ते निभाना हो,धर्म के मार्ग पर चलना हो या फिर अपने दिए वचन को पूर्ण करना हो। सिर्फ कहने में ही राम पुरुषोत्तम नहीं हैं बल्कि हर मायने में वह एक उत्तम और आदर्श पुरुष हैं। भगवान श्री राम श्रेष्ठ राजा थे। उन्होंने मर्यादा,करुणा,दया, सत्य,सदाचार और धर्म के मार्ग पर चलते हुए राज किया। इस कारण उन्हें आदर्श पुरुष और मर्यादा पुरुषोत्तम भी कहा जाता है। मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम श्री हरि विष्णु के दस अवतारों में से सातवें अवतार थे। बारह कलाओं के स्वामी श्रीराम का जन्म लोक कल्याण और इंसानों के लिए एक आदर्श प्रस्तुत करने के लिए हुआ था। श्रीराम को हिन्दू धर्म के महानतम देवताओं की श्रेणी में गिना जाता है। वे करुणा, त्याग और समर्पण की मूर्ति माने जाते है। उन्होंने विनम्रता,मर्यादा,धैर्य और पराक्रम का सर्वश्रेष्ठ उदाहरण संसार के सामने प्रस्तुत किया है। श्रीराम का चरित्र अनुकरणीय है। हम सभी को उनके आदर्शों पर चलना चाहिए।