साकेतवासी गुरुदेव दामोदर दास जी महाराज की 18वीं पुण्यतिथि धूमधाम के साथ मनाई

 


हरिद्वार। प्राचीन गौरीशंकर मंदिर तथा नीलेश्वर महादेव मंदिर में पूज्य गुरुदेव श्री दामोदर दास जी महाराज की 18वीं पुण्यतिथि बड़े ही धूमधाम के साथ मनाई गई। इस अवसर पर बोलते हुए नीलेश्वर महादेव मंदिर तथा गौरीशंकर मंदिर के श्री महंत हरिदास जी महाराज ने कहा पूज्य गुरुदेव दामोदर दास जी महाराज ज्ञान एवं त्याग की एक अखंड मूर्ति थे। ज्ञान का एक विशाल सूर्य थे। उन्होंने संपूर्ण विश्व में ऐसी ज्ञान की गंगा बहाई जो उनके ज्ञान के रूप में भक्तों को दिए गए संस्कार के रूप में निरंतर बह रही है ऐसे ही परम त्यागी तपस्वी ज्ञान मूर्ति संत थे। पूज्य गुरुदेव महामंडलेश्वर प्रेम दास जी महाराज अपनी तपस्या के माध्यम से भक्तों को उंगली पड़कर कल्याण का मार्ग दिखाया। भगवान राम की भक्ति करने के लिए उनका मार्गदर्शन कर उन्हें कल्याण की ओर ले गए। उन्होंने सिखाए अगर भगवान की भक्ति करनी है तो शबरी की तरह करो कि भगवान राम को भी एक दिन तुम्हारे पास आना पड़े संपूर्ण विश्व में पूज्य गुरुदेव ने ऐसी ज्ञान की अलख-जगायी। ऐसी ज्ञान की गंगा भक्तों के मस्तिष्क पटल पर बहाई जो गुरुदेव द्वारा दी गई शिक्षा संस्कार और सिखाई गई भक्ति के रूप में निरंतर आज भी आश्रम में बह रही है। गुरुदेव आज भी सूक्ष्म रूप से हम लोगों के बीच अपने दिए गए ज्ञान के रूप में विद्यमान है। मेरे पूज्य गुरुदेव साक्षात ईश्वर की प्रतिमूर्ति थे। इस अवसर पर बोलते हुए श्री महंत विष्णु दास ने कहा श्री गौरी शंकर महादेव मंदिर और नीलेश्वर महादेव मंदिर सतयुग काल का प्राचीन मंदिर है। यहां भगवान भोलेनाथ की कृपा बरसती है संत महापुरुषों का सानिध्य बड़े ही भाग्य से प्राप्त होता है। गुरु की सेवा और ईश्वर की भक्ति बड़े ही भाग्यशाली लोगों को प्राप्त होती है। जो भक्त अपने गुरु के बताए मार्ग पर चलता है वह सदैव अपने कल्याण की ओर बढ़ता है। इस अवसर पर महंत प्रहलाद दास जी,महंत सुतीक्ष्ण मुनि,महंत निर्भय सिंह,स्वामी गगन देवगिरी,स्वामी गुरमीत सिंह, महंत कमलेशानंद सरस्वती,महंत नारायण दास पटवारी,स्वामी कृष्णदेव महाराज,दुर्गा दास महाराज ,धर्मदास महाराज,रामदास महाराज,श्याम गिरी महाराज गगन देवगिरी देहरादून, बाबा रमेशानंद, वरिष्ठ कोतवाल कालीचरण जी सहित भारी संख्या में संत महंत भक्तगण उपस्थित थे।