दिव्य आध्यात्मिक महोत्सव” में तीसरे दिन केरल,जम्मू कश्मीर,हिमाचल के राज्यपाल हुये शामिल

 यहाँ हर किसी का सम्बन्ध एक-दूसरे से आत्मिक सम्बन्ध-आरिफ मौहम्मद खान 


हरिद्वार। जूनापीठाधीश्वर आचार्यमहामण्डलेश्वर अनन्तश्री विभूषित स्वामी अवधेशानन्द गिरि जी महाराज के श्रीपंचदशनाम जूना अखाड़ा की आचार्यपीठ पर पदस्थापन के दिव्य 25वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर ‘‘श्रीदत्त जयन्ती‘‘ पर हरिहर आश्रम, कनखल में दिव्य आध्यात्मिक महोत्सव का भव्य आयोजन किया गया। इस “दिव्य आध्यात्मिक महोत्सव” के तृतीय दिवस पर मंगलवार को देश के विभिन्न प्रान्तों से महामाहिमों का आगमन हुआ। इस क्रम में जम्मू कश्मीर के महामहिम उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा,केरल के महामहिम राज्यपाल मोहम्मद आरिफ खान तथा हिमाचल प्रदेश के राज्यपाल शिव प्रताप शुक्ला एक मंच पर एक साथ एकत्रित हुए। सभा को सम्बोधित करते हुए,जम्मू कश्मीर के महामहिम उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा ने कहा कि पूज्य गुरुदेव ने आधुनिक युग की पीढियों को संस्कृति से जोड़ने का काम कर जेनरेशन गैप को कम कर दिया है। जिस से भविष्य में एक सुदृढ़ भारत की नींव रखी जा रही है। उत्तराखण्ड विधानसभा अध्यक्षा ऋतु खण्डूरी ने समाज कल्याण में साधु समाज की भूमिका पर अपने विचार प्रकट किए और पूज्य गुरुदेव का समाज के साथ (त्वरित जुड़ाव) की बात कही। पूर्व पालिकाध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी ने भी इस दिव्य अवसर पर अपनी शुभकामनाएँ दी। इस अवसर पर उत्तर प्रदेश के उप-मुख्यमंत्री बृजेश पाठक ने अपने संबोधन में भारत के ‘‘वसुधैव कुटुंबकम्‘‘ की भावना के सौन्दर्य को उकेरते हुए कोरोना महामारी काल में विश्वस्तर पर वैक्सीन वितरण के कार्य की सराहना की। इस दिव्य महोत्सव पर केन्द्रीय रक्षा राज्यमंत्री अजय भट्ट भी उपस्थित रहे और गुरुदेव की विशेष कृपा के प्रति भावपूर्ण अभिव्यक्ति दी। उन्होंने कहा कि संतों की वाणी भगवदीय होती है, उनकी कृपा से भाग्य का विधान बदल जाता है। जी-20 की थीम वन अर्थ,वन फेमली,वन फयूजर (जो वसुधैव कुटुंबकम् का अंग्रेजी अनुवाद है) को विश्वस्तर पर अपनाना भारत के परम ज्ञान के प्रति यूनिवर्सल स्वीकार्यता को दर्शाता है। पंडित विजयशंकर मेहता ने अपने विनोदपूर्ण शैली में कहा कि गुरुदेव के व्यक्तित्व का एक-एक पहलू शोध का विषय है और कहा कि मुस्कुराना हो तो गुरुदेव से सीखना चाहिए। केरल के महामहिम राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने सभा को सम्बोधित करते हुए कहा कि भारत की संस्कृति आत्मा से एकीकृत हुई है। यहाँ हर किसी का सम्बन्ध एक-दूसरे से आत्मिक सम्बन्ध है। भावना की एकता पर विशेष बल देते हुए भगवान शंकराचार्य जी के अद्वैतवाद की धारणा को पुष्ट करते हुए उन्होंने प्राचीन शास्त्रों के कुछ श्लोक और वेदों की ऋचाओं का वाचन किया। इस दिव्य अवसर पर आरिफ मोहम्मद खान का सम्बोधन बहुत ही दिव्य और आध्यात्मिक था।‘‘सनातन वैदिक हिन्दू धर्म में समष्टि कल्याण के सूत्र‘‘ विषय पर आयोजित इस धर्मसभा में कार्षि्णपीठाधीश्वर गुरुशरणानन्द जी महाराज,हिन्दू धर्म आचार्यसभा के संयोजक स्वामी परमात्मानन्द जी, परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती, भारतीय जनता पार्टी के राष्ट्रीय सह-संगठन मंत्री शिवप्रकाश, पंडित विजयशंकर मेहता,आशीष भैया,मध्य प्रदेश के पूर्व-मंत्री अजय सिंह‘‘राहुल भैया‘‘,सांसद भोला सिंह,प्रभु प्रेमी संघ की अध्यक्षा महामण्डलेश्वर स्वामी नैसर्गिका गिरि जी,महामण्डलेश्वर स्वामी ललितानन्द गिरि जी, महामण्डलेश्वर स्वामी अपूर्वानन्द गिरि जी,संस्था के अनेक वरिष्ठ न्यासीगण,वरिष्ठ प्रशासनिक व अधिकारीगण, शहर के अनेक गणमान्य विभूतियाँ तथा देश-विदेश से बड़ी संख्या में पधारे साधकों की उपस्थिति रही।