स्वामी श्रद्धानन्द की शैक्षिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों को संकल्प बनाकर कार्य करने प्रण

 


हरिद्वार। अमर हुतात्मा स्वामी श्रद्धानन्द के 97वें बलिदान दिवस पर महर्षि स्वामी दयानन्द सरस्वती की 200वीं जयन्ती के उपलक्ष में गुरुकुल का सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रधान स्वामी आर्यवेश एवं विश्वविद्यालय के संरक्षक, सांसद डॉ॰ सत्यपाल सिंह ने कुलपताका का आरोहण किया। उन्होनें उद्बोधन में स्वामी श्रद्धानन्द की शैक्षिक एवं सांस्कृतिक गतिविधियों को संकल्प बनाकर कार्य करने का संकल्प दिलवाया। गुरुकुल कांगड़ी विद्यालय के अधिकारी शिक्षक एवं शिक्षकेत्तर वर्ग तथा जिला आर्य उप प्रतिनिधि सभा हरिद्वार के पदाधिकारियों ने सार्वदेशिक आर्य प्रतिनिधि सभा के प्रधान स्वामी आर्यवेश के साथ स्वामी श्रद्धानन्द चौक पर स्वामी को श्रद्धांजलि समर्पित करते हुए स्वामी आर्यवेश ने कहा कि स्वामी श्रद्धानन्द ने अपना सर्वस्व समर्पित करके राष्ट्र को जो दिशा दी है आज पुनः उस पर चलने की आवश्यकता है। गुरुकुल कांगडी विद्यालय से शोभायात्रा प्रारंभ होकर अमन चौक छोटा परिवार श्रद्धानन्द द्वार होती हुयी सिंहद्वार स्थिति स्वामी श्रद्धानन्द के स्टेचु पर पहुंची तथा श्रद्धांजलि के रुप में परिर्विर्तत हुई स्वामी आदित्यवेश ने कहा कि स्वामी श्रद्धानन्द को भारत रत्न देने की मंाग की तथा आज स्वामी श्रद्धानन्द के जीवन के यथार्थ पक्ष को जानने की आवश्यकता है। उन्होंने अपना सर्वस्व बलिदान किया था। उनकी इस बात का समर्थन डॉ॰ योगेश शास्त्री ने कर उत्तराखण्ड सरकार से इसकी मांग की। पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद ने इस अवसर पर स्वामी श्रद्धानन्द के राष्ट्रीय स्वरुप पर प्रकाश डाला। इस अवसर पर सभी अतिथियों का शॉल एवं स्मृति चिह्न देकर सम्मान किया गया।श्रद्धाजंलि सभा में मुख्य अतिथि के रुप में विश्वविद्यालय के संरक्षक, बागपत सांसद डॉ॰ सत्यपाल सिंह ने अपना व्यक्त्तव देते हुए स्वामी श्रद्धानन्द के प्रारम्भिक जीवन से लेकर महात्मा मुंशीराम एवं स्वामी श्रद्धानन्द बनने तक की जीवन यात्रा को अत्यन्त रोचक एवं सारगर्भित रुप में वाचित किया। उन्होंने कहा कि जिस लार्ड मैकाले की शिक्षा के विरुद्ध स्वामी श्रद्धानन्द ने गुरुकुल शिक्षा प्रणाली का बिगुल बजाया था आज उसकी प्रासंगिकता आवश्यक है। उन्होंने कहा कि केवल मेरे जीवन को इस रुप में बदलने का श्रेय अमर हुतात्मा स्वामी श्रद्धानन्द के जीवन को जाता है।श्रद्धांजलि सभा की अध्यक्षता मुख्याधिष्ठाता डा0 दीनानाथ शर्मा ने की।गुरुकुल के कुलपति प्रो॰ सोमदेव शतांशु ने अमर हुतात्मा स्वामी श्रद्धानन्द के बलिदान पर्व पर आयोजित महर्षि दयानन्द सरस्वती की 200वीं जयन्ती के उपलक्ष्य में आयोजित वेद विज्ञान एवं संस्कृति महाकुम्भ का परिचय देते हुए कहा कि ऋषि दयानन्द इस युग के अद्वितीय व्यक्तित्व है। इस अवसर पर फार्मेंसी के व्यवसाध्यक्ष डॉ॰ सेमवाल,गुरुकुल के प्रधानाचार्य डॉ॰ विजेन्द्र शास्त्री, गुरुकुल के समस्त शिक्षक एवं शिक्षकेत्तरगण तथा गुरुकुल कांगड़ी फार्मेसी के सभी कर्मचारी एवं विद्यालय के छात्र उपस्थित थे।