संत समाज ने दी ब्रह्मलीन स्वामी शंकरानंद महाराज को श्रद्धाजलि

 संसार में जब तक सूर्य उदय होता रहेगा, तब तक सनातन धर्म को कोई मिटा नहीं सकता-श्रीमहंत रविंद्रपुरी


हरिद्वार। भूपतवाला स्थित श्री आनन्द आश्रम दक्षिणी भाग में आश्रम के परमाध्यक्ष महंत स्वामी विवेकानंद महाराज के संयोजन में आयोजित श्रीमद् भागवत सप्ताह ज्ञान यज्ञ की पूर्णाहूति और गुरूजनों की मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव एवं ब्रह्मलीन स्वामी शंकरानंद महाराज की पुण्य तिथी के अवसर पर विशाल संत समागम का आयोजन किया गया। संत समागम में सभी तेरह अखाड़ों के संत महंतों ने ब्रह्मलीन स्वामी शंकरानंद महाराज का भावपूर्ण स्मरण करते हुए उन्हें श्रद्धासुमन अर्पित किए। संत समागम को संबोधित करते हुए अखाड़ा परिषद अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि संसार में जब तक सूर्य उदय होता रहेगा। सनातन धर्म को कोई मिटा नहीं सकता। उन्होंने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी शंकरानंद महाराज संत समाज के प्रेरणा स्रोत थे। सनातन धर्म संस्कृति के प्रचार प्रसार और उत्थान में उनका अतुलनीय योगदान रहा। उनके शिष्य महंत स्वामी विवेकानंद महाराज जिस प्रकार अपने गुरू के अधूरे कार्यो और आश्रम की सेवा संस्कृति को आगे बढ़ा रहे हैं। वह सभी के लिए प्रेरणादायी है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी शंकरानंद महाराज अध्यात्म जगत की दिव्य विभूति थे। उनके विचार और शिक्षाएं सदैव समाज को प्रेरणा देते रहेंगे। उन्होंने कहा कि महंत स्वामी विवेकानंद महाराज अपने गुरूओं के दिखाए मार्ग पर चलते धर्म संस्कृति के संरक्षण संवर्द्धन में योगदान कर रहे हैं। योग गुरू स्वामी कर्मवीर महाराज ने कहा कि सनातन धर्म संस्कृति के प्रचार प्रसार में ब्रह्मलीन स्वामी शंकरानंद महाराज का योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। उन्होंने कहा कि अपने गुरूओं के प्रति महंत स्वामी विवेकानंद महाराज की निष्ठा व विश्वास सभी के लिए प्रेरणादायक है। महंत स्वामी विवेकानंद महाराज ने सभी संत महापुरूषों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि पूज्य गुरूदेव ब्रह्मलीन शंकरानंद महाराज विलक्षण संत थे। वे सौभाग्यशाली है कि उन्हें गुरू के रूप में ऐसे महान संत का सानिध्य प्राप्त हुआ। गुरूजनों से प्राप्त शिक्षा का अनुसरण करते हुए समाज में आध्यात्मिक चेतना जगाना और संत सेवा ही उनका उद्देश्य है। स्वामी ऋषिश्वरा नंद,बाबा हठयोगी,स्वामी रविदेव शास्त्री,महंत दुर्गादास ने कहा कि ब्रह्मलीन महंत स्वामी शंकरानंद महाराज के विचार और शिक्षाएं सदैव प्रासंगिक रहेंगी। सभी को उनकी शिक्षाओं का अनुसरण करते हुए धर्म संस्कृति के संरक्षण और मानव सेवा का संकल्प लेना चाहिए। महंत स्वामी विवेकानंद, स्वामी रविदेव शास्त्री स्वामी हरिहरानंद, स्वामी शिवम महाराज व आश्रम के ट्रस्टियों ने सभी संतों एवं अतिथीयों का फूलमाला पहनाकर स्वागत किया। नगर विधायक मदन कौशिक,पूर्व विधायक कुंवर प्रणव सिंह चैम्पियन,गाजियाबाद के विधायक नंदकिशोर गुर्जर ,आकाश भाटी,विदित शर्मा,दीपांशु विद्यार्थी,कपिल जोनसार,स्वामी रामानंद,स्वामी प्रेमानंद,महंत राघवेंद्र दास,महंत दामोदर शरण,महंत प्रह्लाद दास,महंत रघुवीर दास,महंत विष्णु दास,महंत बिहारी शरण,स्वामी शिवानंद भारती,स्वामी हरिहरानंद,स्वामी सुतिक्ष्ण मुनि,गौ गंगा धाम के अध्यक्ष स्वामी निर्मल दास,महंत जयराम दास,महंत जयेंद्र मुनि,महंत जसविन्दर सिंह,स्वामी कपिल मुनि,महंत गंगादास,महंत श्यामप्रकाश,सतपाल ब्रह्मचारी,महंत विनोद महाराज,स्वामी शिवम महाराज,स्वामी ब्रह्मस्वरूप,स्वामी ऋषि रामकृष्ण,स्वामी अनंतानंद सहित बड़ी संख्या में संत महंत और श्रद्धालु मौजूद रहे।