आपदा प्रबन्धन वैश्विक सम्मेलन में डॉ.नरेश चौधरी हुये सम्मानित

 


हरिद्वार। 6वें आपदा प्रबन्धन वैश्विक सम्मेलन में उत्तराखण्ड आयुर्वेद विश्वविद्यालय से प्रोफेसर डा0 नरेश चौधरी ने जून 2013 में केदारनाथ में आई भयानक आपदा में किये गये आपदा कार्यों का प्रस्तुतिकरण कर विस्तृत जानकारी दी।चार दिवसीय छठ वें आपदा प्रबन्धन वैश्विक सम्मेलन ग्राफिक एरा विश्वविद्यालय देहरादून के परिसर में आयोजित किया गया,जिसमें प्रोफेसर डा0 नरेश चौधरी ने उत्तराखण्ड में आई हुई,विभिन्न प्राकृतिक आपदाओं के साथ-साथ मानव जनित आपदा यथा कुंभ मेला 1986 में हुई भगदड़ से जनहानि के कारणों एवं भविष्य में इस प्रकार की आपदा को कम किया जा सके इस पर भी अपने व्याख्यान के माध्यम से 51 देशों से आये प्रतिभागियों को विशेष जानकारियां दी, साथ ही साथ डा0 नरेश चौधरी ने विशेष रूप से जून 2013 में केदारनाथ में हुई भयानक त्रासदी पर भी विस्तृत ब्यौरावार आंकडों सहित स्वयं द्वारा किये गये जमीनी अनुभवों को साझा किया। डा0 चौधरी ने कहा कि 2013 में उत्तराखंड में आपदा न्यूनीकरण के बहुत ही कम संसाधन थे जिसके कारण हजारों की संख्या में जनहानि हुई जिससे सीख लेकर उत्तराखंड सरकार ने केन्द्र सरकार से मिलकर आपदा से बचने के लिये और आपदा आने के बाद उससे निपटने के लिये तथा आपदा समाप्त होने के बाद पुनर्वास कार्यों के लिये आधुनिक तकनीकी संसाधन तैयार किये। जिसका उदाहरण हाल ही में सिल्क्यारा सुरंग (उत्तरकाशी) से बचाये गये 41 श्रमिकों को नया जीवन देना है। जिसके लिये उक्त चुनौतीपूर्ण बचाव राहत कार्यों के लिये उत्तराखंड सरकार एवं केन्द्र सरकार की सभी एजेंसियों एवं मानव संसाधनों की सम्पूर्ण विश्व में सराहना की जा रही है। डा0 नरेश चौधरी को आपदा प्रबंधन पर दिये गये प्रस्तुतिकरण के लिये विशेष रूप से प्रमाण पत्र एवं प्रतीक चिह्न देकर सम्मानित किया गया। उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 अरुण कुमार त्रिपाठी ने डा0 नरेश चौधरी को बधाई देते हुए कहा कि उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय का प्रतिनिधित्व कर जो सम्मान डा0 नरेश चौधरी ने आपदा प्रबंधन वैश्विक सम्मेलन में प्राप्त किया,इससे उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय भी अपने आप को गौरवान्वित महसूस करता है। जिसके लिये डा0 नरेश चौधरी की सम्पूर्ण आयुष विभाग भूरी भूरी प्रशंसा करते हुए सराहना कर रहा है।