सत्संग के माध्यम से भक्तों को ईश्वर से जोड़ने वाले परम त्याग मूर्ति संत थे टाट वाले बाबा
हरिद्वार। 34वॉ वार्षिक महोत्सव वेदांत सम्मेलन बिरला घाट स्थित टाट वाले बाबा जी की पावन समाधि पर मां गंगा के पावन तट पर संत ऋषि मुनियों के मुंह से ज्ञान की गंगा के रूप में बहने वाली पावन त्रिवेणी मां गंगा की अमृत धारा के बीच संपन्न हुआ इस अवसर पर बोलते हुए गुरु चरण अनुरागी समिति की अध्यक्ष माता रचना मिश्रा ने कहा दुर्लभ त्याग मूर्ति संत टाट वाले बाबा जी ने संपूर्ण विश्व में सनातन धर्म को और अधिक मजबूत करने का कार्य किया उन्होंने सत्संग के माध्यम से भक्तों को ईश्वर से जोड़ने का कार्य किया श्री टाट वाले बाबा जी एक दुर्लभ त्याग मूर्ति ज्ञान मूर्ति संत थे। ज्ञान का एक विशाल सूर्य थे । इस अवसर पर बोलते हुए महाराज जी के शिष्य अनिल गौड ने कहा आज से लगभग 34वर्ष पूर्व परम पूज्य श्री टाट वाले बाबा जी महाराज परमधाम के लिए प्रस्थान कर भगवान श्री हरि में विलीन हो गए थे। लेकिन जिन भक्तों को उनका सानिध्य करने का उनकी सेवा करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ वह बड़े ही भाग्यशाली लोग हैं। मुझे भी उनकी छत्रछाया आशीर्वाद प्राप्त हुआ। इतनी दुर्लभ मूर्ति ज्ञान मूर्ति परम त्यागी टाट वाले बाबा जी महाराज का परम सानिध्य मुझे सौभाग्य से प्राप्त हुआ। इस अवसर पर बोलते हुए प्रो.सुनील बत्रा ने कहा बड़े ही भाग्यशाली होते हैं वह लोग जिन्हें संतों का सानिध्य प्राप्त होता है। जिन्हें संतों की सेवा करने का अवसर प्राप्त होता है। इस अवसर पर बोलते हुए एस बोरा ने कहा परम पूज्य गुरुदेव टाट वाले बाबा जी महाराज साक्षात ईश्वर की प्रतिमूर्ति थे। उन्होंने हम भक्तों को कल्याण का मार्ग दिखाया। संत समागम को संबोधित करते हुए महंत रवि देव महाराज ने कहा संत सत्संग के माध्यम से भक्तों को ईश्वर से जोड़ने का कार्य करते हैं। इस अवसर पर बोलते हुए महंत कमलेशानंद महाराज ने कहा संत महापुरुषों का जीवन समाज को समर्पित होता है उनके प्रति एक कार्य में समाज कल्याण की भावना निहित होती है। पूज्य टाट वाले बाबा जी महाराज ने जगत को सत्य का मार्ग दिखाने का कार्य किया महापुरुष कभी मरते नहीं वह अपने ज्ञान अपने तथा तपोबल के रूप में सदैव भक्तजनों के बीच विद्यमान रहते हैं। इस अवसर पर बोलते हुए महाराज जी की मुख्य सेविका सुश्री भावना ने गुरु महिमा का सुंदर भजन सुनाया तथा कहा सतगुरु देव पूज्य टाट वाले बाबा जी महाराज ने वस्त्र पहनने के बजाय टाट धारण कर एक विरक्त जीवन जिया साथ ही भक्तों को संदेश दिया कि अगर जीना है तो दूसरों के लिए जियो अगर कुछ करके दिखाना है, तो समाज कल्याण देश कल्याण के लिए करो। अगर कुछ पाना है तो साक्षात भगवान को पाना है भगवान को अपने अंतर मन में बसा लेना है। गुरुदेव टाट वाले बाबा जी महाराज ने अपने ज्ञान के माध्यम से अपने भक्तों को दिखाया की परोकार से बढ़कर और कुछ नहीं होता। सादगी और त्याग से बढ़कर और कुछ नहीं होता बाकी सब मोह माया है। उन्होंने अपनी ज्ञान रूपी अमृत वर्षा से हम भक्तों के जीवन को धन्य कर दिया। इस अवसर पर महंत स्वामी हरिहरानंद महाराज, महंत कमलेशानंद महाराज, गौरव अरोड़ा, अर्चना माता, रवि सुनील बत्रा,रचना मिश्रा,अध्यक्ष उप सचिव दीपक एस बोरा,विजय मंत्री सुशील भसीन,अनिल गौड,सुश्री भावना गौड,अश्विनी गौड,श्रीमती मधु गौड ,मीनू गौड,मीना गौड,लव गौड, तथा कृष्ण माता सहित बड़ी संख्या में श्रद्वालुगण शामिल थे।