वृक्षों में तुलसी का महत्वपूर्ण स्थान-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री

 


हरिद्वार। श्रीराधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के तत्वावधान में वसंत विहार कॉलोनी ज्वालापुर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के तीसरे दिन की कथा सुनाते हुए भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने तुलसी के महत्व का वर्णन करते हुए बताया कि वृक्षों में तुलसी का महत्त्वपूर्ण स्थान है। तुलसी सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाली है। तुलसी के पूजन, दर्शन, सेवन व रोपण से दैविक, भौतिक और आध्यात्मिक तीनों प्रकार के तापों का नाश और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। शास्त्रों में वर्णन मिलता है कि भगवान श्रीराम और भगवान श्रीकृष्ण ने भी तुलसी पूजन किया था। अशोक वाटिका में माता सीता ने प्रभु श्रीराम की प्राप्ति के लिए तुलसी का मानस पूजन ध्यान किया था। हिमालय पर्वत पर माता पार्वती ने भगवान शंकर की प्राप्ति के लिए तुलसी का वृक्ष लगाया था। भगवान विष्णु की कोई भी पूजा बिना तुलसी के पूर्ण नहीं मानी जाती। ऋषि-मुनि अपने आसपास तुलसी का पौधा लगाते थे व तुलसीयुक्त जल का ही आचमन लेते थे। पद्म पुराण के अनुसार तुलसी के दर्शनमात्र से करोड़ों गोदान का फल प्राप्त होता है। तुलसी के पौधे या देशी गाय की नौ बार परिक्रमा करने से आभामंडल के प्रभाव में दिन प्रतिदिन बढ़ोतरी होती है। आभामंडल का दायरा जितना अधिक होगा व्यक्ति उतना ही अधिक कार्यक्षम एवं मानसिक रूप से क्षमतावान व स्वस्थ होगा। कथाव्यास ने बताया कि ईशान कोण में तुलसी का पौधा लगाने से बरकत होती है। चरक सूत्र में वर्णन मिलता है कि तुलसी एक अदभुत औषधि भी है और अनेक रोगों को नष्ट करती है। शास्त्री ने बताया कि इजरायल में धार्मिक, सामाजिक, वैवाहिक और अन्य मांगलिक अवसरों पर तुलसी द्वारा पूजन कार्य सम्पन्न होते रहे हैं। यहाँ तक कि अंत्येष्टि क्रिया में भी तुलसी दल का उपयोग किया जाता हैं।  शास्त्री ने बताया कि प्रत्येक व्यक्ति को अपने घर में तुलसी का पौधा लगाना चाहिए और नित्य तुलसी का पूजन करना चाहिए। मुख्य जजमान शांति दर्गन, तिलकराज दर्गन, स्वेता दर्गन, सुमित दर्गन, वीना धवन, अंसुल धवन, विजेंद्र गोयल, मंजू गोयल, प्रमोद पांधी, अंजु पांधी, रंजना सचदेवा, रघुवीर कौर, संजीव मेहता, राजीव मेहता, प्रीती मेहता, भावना मेहता आदि ने भागवत किया।