बच्चों से निरन्तर संवाद स्थापित कर जो भी दिक्कत है का निदान करें-डॉ.गीता खन्ना

राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग द्वारा आयोजित कार्यशाला में बोली बाल आयोग की अध्यक्ष


 हरिद्वार। उत्तराखण्ड बाल संरक्षण आयोग के अध्यक्ष डॉ0 गीता खन्ना ने शनिवार को राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग नई दिल्ली द्वारा ऋषिकुल ऑडिटोरियम में आयोजित सेनेटाइजेशन ऑन कम्प्रीहैंशिव मैनुअल फॉर सेफ्टी एण्ड सिक्योरिटी ऑफ चिल्ड्रन इन स्कूल इनक्लूडिंग साइबर सेफ्टी से सम्बन्धित एक दिवसीय कार्यशाला का दीप प्रज्ज्वलित कर शुभारम्भ किया। कार्यशाला को सम्बोधित करते हुये डॉ0 गीता खन्ना ने कहा कि सोशल मीडिया की वजह से आज हम अपने तक सीमित होते जा रहे हैं,हमें मेरा बच्चा,मेरा क्लास रूम आदि ही दिखाई देता है,हमने अपनी सोच को सीमित कर लिया है तथा हम काल्पनिक संसार को अधिक समय देने लगे हैं,जबकि हमें यह समय अपने रिश्तेदारों,पड़ोसियों आदि को साझा करना चाहिये था,उनसे हम निरन्तर कटते जा रहे हैं। यह स्थिति ठीक नहीं है। डॉ0 गीता खन्ना ने परीक्षाओं का उल्लेख करते हुये कहा कि परीक्षा इस सिस्टम का एक हिस्सा है। इसमें खेलकूद भी बहुत आवश्यक हैं। उन्होंने कहा कि परीक्षा एक पर्व है,इसे त्योहार की तरह मनाना चाहिये। इसमें कहीं पर भी तनाव नहीं आना चाहिये। उन्होंने कहा कि पढ़ाई के नाम पर,बच्चों को जो संस्कार देने चाहिये थे,वे नहीं दे पा रहे हैं। उन्होंने कहा कि आज स्थिति यह हो रही है कि हम अपने को अलग-थलग करते जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि पहले बच्चों की शारीरिक तरह की दिक्कतें ज्यादा सामने आती थी,लेकिन आज यह देखने में आ रहा है कि बच्चे मानसिक रूप से ज्यादा परेशान दिखते हैं,उनकी फिजिकल एक्टीविटी कम होती जा रही है। उन्होंने कहा कि आज आवश्यकता इस बात की है कि हमें बच्चों से निरन्तर संवाद स्थापित करते रहना चाहिये ताकि उन्हें जो भी दिक्कत है,वह हमारे सामने आ सके तथा उनका उसी तरह से निदान किया जा सके। उन्होंने कहा कि हर बच्चा मेरा, मेरे समाज का, मेरे देश का तथा मेरे भविष्य का है,इसे ध्यान में रखते हुये हमें अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन करते हुये, उसका मार्गदर्शन करना चाहिये। मुख्य विकास अधिकारी प्रतीक जैन ने कार्यशाला को सम्बोधित करते हुये सोशल मीडिया आदि प्लेट फार्मों का उल्लेख करते हुये कहा कि आज बच्चों की मॉनिटरिंग बहुत आवश्यक हो गयी है। उन्होंने कहा कि आज अध्यापक, अभिभावक सोशल मीडिया को ज्यादा समय दे रहे हैं,जिसका बच्चों पर भी गलत प्रभाव पड़ रहा है। इसलिये यह आवश्यक है कि अभिभावक व अध्यापक को भी अपने ऊपर नियंत्रण रखना होगां। उन्होंने कहा कि बच्चे जैसी संगत पाते हैं, उसी का आचरण करने लग जाते हैं। उन्होंने कहा कि हमें अधिक से अधिक बच्चों के साथ समय देते हुये संवाद स्थापित करना चाहिये ताकि उनकी मानसिक स्थिति से हम वाकिब हो सकें। कार्यशाला में संयुक्त निदेशक शिक्षा आर0एल0 आर्या,डॉ0 आलोक प्रभा पाण्डेय,मुख्य शिक्षा अधिकारी के0के0 गुप्ता ,जिला प्रोबेशन अधिकारी अविनाश भदौरिया,डॉ0 जी0 मल्होत्रा,सुश्री समाश्री आदि ने बाल संरक्षण,साइबर सुरक्षा आदि पर विस्तार से अपने-अपने मन्तव्य प्रस्तुत किये। कार्यशाला का सफल संचालन रेडक्रास सचिव डॉ0 नरेश चौधरी ने किया। इस अवसर पर सदस्य बाल संरक्षण आयोग धरम सिंह,अपर जिलाधिकारी(प्रशासन) पी0एल0 शाह,जिला शिक्षा अधिकारी आशुतोष भण्डारी,विभिन्न स्कूल-कालेजों के प्रधानाचार्य,अध्यापक सहित सम्बन्धित अधिकारीगण उपस्थित थे।