स्वामी राघवानंद सरस्वती साधना और सरलता की साक्षात प्रतिमूर्ति थे

 


हरिद्वार। उत्तरी हरिद्वार स्थित श्रीगंगा भक्ति आश्रम एवं श्रीयमुना बिहारी आश्रम वृंदावन के संस्थापक ब्रह्मलीन श्रीमहंत स्वामी राघवानंद सरस्वती जी का द्वितीय श्रद्धांजलि समारोह सोमवार को हरिद्वार ,वृंदावन एवं गुजरात के संतों ने संयुक्त रूप से मनाते हुए उनका भावपूर्ण स्मरण किया एवं उनके उत्तराधिकारी शिष्य स्वामी कमलेशानंद सरस्वती के उज्जवल भविष्य की कामना की। श्रद्धांजलि सभा को अध्यक्षीय पद से संबोधित करते हुए श्रीमहंत स्वामी कौशल किशोर दास ने कहा कि स्वामी राघवानंद सरस्वती साधना और सरलता की साक्षात प्रतिमूर्ति थे और उन्होंने अपना संपूर्ण जीवन समाज की प्रसन्नता के लिए समर्पित किया,उनके सेवा प्रकल्पों को आगे बढ़ाना ही उनको सबसे बड़ी श्रद्धांजलि होगी। स्वामी हरिबल्लभदास शास्त्री ने स्वामीनारायण संप्रदाय की तरफ से श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके आदर्शों को आत्मसात करने का आवाहन किया। स्वामी सत्यव्रतानंद सरस्वती ने कहा कि श्रद्धांजलि उसी को दी जाती है जिसका जीवन गंगा, गायत्री और सनातन धर्म एवं संस्कृति के संवर्धन में समर्पित रहा हो, उन्होंने ग्रहस्थ आश्रम को सबसे बड़ा आश्रम बताते हुए कहा कि सभी आश्रमों का संचालन ग्रहस्थ आश्रम से ही होता है। स्वामी कमलेशानंद सरस्वती को गुरु का प्रतिरूप बताते हुए उन्होंने कहा कि सच्चे गुरु को ही अच्छे शिष्य की प्राप्ति होती है। महामंडलेश्वर स्वामी अनंतानंद महाराज ने शालीनता और संतत्व की प्रतिमूर्ति बताते हुए कहा कि समाज उसी को देता है जो समाज को देता है,उन्होंने सभी सनातन धर्म प्रेमियों से शिखा-सूत्र की तरफ विशेष ध्यान देने का आवाहन किया। श्रीगंगा भक्ति आश्रम एवं यमुना विहारी आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी कमलेशानंद सरस्वती ने सभी संत महापुरुषों एवं ट्रस्टी तथा भक्तों का अभिनंदन करते हुए कहा कि सम्मानित भक्तों के सहयोग से ही पूज्य गुरुदेव द्वारा आरंभ किए गए सेवा प्रकल्पों का संचालन हो रहा है जिस पर गुरुदेव की अपार कृपा है। श्रद्धांजलि सभा को स्वामी कृष्णबल्लभ शास्त्री,स्वामी चित्तप्रकाशानंद गिरी,स्वामी रामदेव चतुर्वेदी,स्वामी कृष्णानंद शास्त्री,महंत सेवादास,स्वामी सुरेशानंद,महंत स्वामी आदित्यानंद गिरी तथा श्री महंत सुरेशानंद परमहंस ने भी संबोधित किया। कार्यक्रम का संचालन स्वामी शारदानंद सरस्वती ने किया। इस अवसर पर दिल्ली,यूपी,उत्तराखंड,हरियाणा एवं राजस्थान के अनेक अनुयायिओं ने श्रद्धांजलि अर्पित करते हुए उनके सेवा प्रकल्पों को आगे बढ़ाने का संकल्प लिया।