इंमरजेंसी में तैनात इएमओ व फार्मेसिस्ट मरीजों की देखरेख के बजाए केवल मेडिकल बनाने में व्यस्त

जिला अस्पताल की इंमरजेंसी व इंजेक्शन रूम की व्यवस्था इंटर्न के हवाले


 हरिद्वार। जिला अस्पताल में मरीजों को इंजेक्शन लगाने की पूरी व्यवस्था इंटर्न के हवाले है। इंजेक्शन रूम में कोई फार्मेसिस्ट ना होने पर मरीजो को लगने वाले रेबिज समेत अन्य बीमारियों के इंजेक्शन इंटर्न ही लगा रहे है। सवाल उठता हैं कि जो बच्चे प्रशिक्षण के लिए जिला अस्पताल में पहुंच रहे है वहीं जिला अस्पताल के इंजेक्शन रूम को संचालित कर रहे है। इंटर्न को इंजेक्शन लगाने की प्रशिक्षण देने वाला फार्मेसिस्ट नदारत है। चिकित्साधिकारियों की दलील हैं कि इंजेक्शन रूम की महिला फर्मेसिस्ट के अस्वस्थता के चलते छुट्टी पर होने के कारण व्यवस्था गडबड़ा गयी है। लेकिन रूम में फार्मेसिस्ट ना होने पर इंजेक्शन लगाने की प्रशिक्षण ले चुके इंटर्न की देखरेख में अन्य इंटर्न इंजेक्शन का प्रशिक्षण ले रहे है। जिला अस्पताल में मौजूदा वक्त में 16फार्मेसी इंटर्न और 57 बीएएमएस इंटर्न है। जिनके द्वारा ही अस्पताल की व्यवस्था में अहम योगदान देकर मरीजों को राहत देने का काम किया जा रहा है। विश्व प्रसिद्ध तीर्थनगरी हरिद्वार के जिला अस्पताल की व्यवस्था भगवान के भरोसे ही चल रही है। अगर अस्पताल इमरजेंसी हो या फिर इंजेक्शन रूम की व्यवस्था उसकी बागडोर पूरी तरह इंटर्न के हवाले है। इमरजेंसी में तैनात इमरजेंसी मेडिकल ऑफिसर यानि इएमओ और फार्मेसिस्ट की अगर बात करें,तो इनको तो मेडिकल बनाने से ही फुर्सत ही नहीं है। जिला अस्पताल की इमरजेंसी में आने वाले गंभीर मरीज को अटेंड करने की जिम्मेदारी वहां पर तैनात इएमओ और फार्मेसिस्ट की होती है। लेकिन वहां पर लाये जाने वाले गम्भीर मरीजों को देखने के लिए इएमओ व फार्मेसिस्ट कोई दिलचस्पी नहीं दिखाते, बल्कि उनको अस्पताल में प्रशिक्षण के लिए पहुंचने वाले इंटर्न ही गम्भीर मरीजों को अटेंड कर रहे है। यदि गम्भीर मरीज के तिमारदारों द्वारा इएमओ व फार्मेसिस्ट पर मरीज को देखने का दबाब डाला जाता हैं, तो दोनों तिमारदारों की शांत करने के लिए केवल मरीज को देखने की औपचारिता भर कर इंटर्न को दिशा निर्देश देकर अपनी जिम्मेदारी की इतिश्री कर दी जाती है। ऐसा नहीं कि जिला अस्पताल की इमरजेंसी में हो रही अव्यवस्था की जानकारी अस्पताल सीएमएस और सीएमओ को नहीं है। लेकिन इमरजेंसी की व्यवस्था इतनी जटिल कुछ फार्मेसिस्टों द्वारा कर दी गयी है कि उसमें सुधार करने की हिम्मत दोनों चिकित्साधिकारियों में से कोई नहीं दिखा पा रहा है। इमरजेंसी की व्यवस्था के को लेकर मीडिया कर्मियों द्वारा चिकित्साधिकारियों का ध्यान आकर्षित करते हुए खबरे तक प्रकाशित की जा चुकी है। लेकिन उसके बाद भी जिला अस्पताल प्रबंधन और जिला स्वास्थ्य विभाग हरिद्वार पूरी तरह कुंभकरणीय नींद से नहीं जागा है। वहीं जिला अस्पताल की इंजेक्शन रूम की व्यवस्था भी पूरी तरह चौपट है। इंजेक्शन रूम को पूरी तरह अस्पताल में प्रशिक्षण के लिए पहुंचने वाले इंटर्न की चला रहे है। इंटर्नो को इंजेक्शन लगाने की प्रशिक्षण देने वाला कोई भी फार्मेसिस्ट मौजूद नहीं है। जहां पर रोजाना दर्जनों मरीज इंजेक्शन लगाने के लिए पहुंचते है। जिनमें रेबिज व समान्य बीमारियों से सम्बंधित मरीज इंजेक्शन लगाने के लिए पहुंचते है। जिनमें छोटे-छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्ग मरीज होते है। जिनको इंजेक्शन देने का तरीका भी अलग-अलग होता है। लेकिन इंटर्न को इंजेक्शन देने का तरीका प्रशिक्षण देनेवाला इंजेक्शन रूम में कोई फार्मेसिस्ट तक मौजूद नहीं है। जिला अस्पताल चिकित्साधिकारी डॉ.विकास दीप ने बताया कि इंजेक्शन रूम की जिम्मेदारी महिला चीफ फार्मेसिस्ट श्रीमती शंकुतला नौटियाल पर है। लेकिन वह कुछ समय से अस्वस्थ्य चल रही हैं जिसके चलते वह छुट्टी पर है। जिन कारण इंजेक्शन रूम का चार्ज औषधी भंडारण चीफ फार्मेसिस्ट बीपी बहुगुणा पर है। लेकिन उनके पास औषधी भंडारण समेत अन्य जिम्मेदारियां होने के कारण वह इंजेक्शन रूम को समय नहीं दे पा रहे है। जिस कारण व्यवस्था बिगड गयी है,लेकिन कुछ दिनों में व्यवस्था में सुधार कर लिया जाएगा ।