वज्र के समान कठोर हो जाता है तीर्थ में किया गया पाप कर्म-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री
हरिद्वार। बी.सी.हासाराम एंड संस द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के षष्टम् दिवस की कथा श्रवण कराते हुए श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के संस्थापक भागवताचार्य पंडित भगवान कृष्ण शास्त्री ने बताया कि जो लोग तीर्थों में पाप कर्म करते हैं। उनका बाप वज्र के समान हो जाता है और अनेकों अनेकों जन्मों तक नरक यातना भोगनी पड़ती है। शास्त्री ने कहा कि मनुष्य योनि में जन्म लेने के उपरांत मन वाणी एवं कर्म से मनुष्य जाने अनजाने में पाप कर्म कर बैठता है। इसकी निवृत्ति तीर्थों में जाकर श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करने से, दान पुण्य करने से हो जाती है। परंतु जो लोग तीर्थों में जाकर भी पाप कर्म करते हैं। उनका पाप वज्र के समान कठोर हो जाता है एवं अनेकों अनेकों जन्मों तक नरक यातना भोगनी पड़ सकती है। शास्त्री ने कथा के माध्यम से बताया कि तीर्थों में जा कर भूल कर भी पाप कर्म न करें। इस अवसर पर मुख्य यजमान किरण चंदनानी, राधा कृष्ण चंदनानी, ग्रीष्मा चंदनानी,पंडित गणेश कोठारी, पंडित जगदीश प्रसाद कंदूरी, पंडित विष्णु शर्मा, यशोदा प्रसाद, आशीष शर्मा आदि ने भागवत पूजन किया।