भगवान विष्णु ने भक्त प्रह्लाद की रक्षा के लिए किया था अधिक मास का निर्माण-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री

 


हरिद्वार। केसरी मरहम के निर्माता बी.सी.हासाराम एंड संस द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के चतुर्थ दिवस पर श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के संस्थापक भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने कहा कि अधिक मास में भगवान विष्णु का पूजन एवं कथा श्रवण करने से भगवान विष्णु प्रत्येक संकट से रक्षा करते हैं। पुरषोतम मास का निर्माण भगवान ने अपने भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए किया था। शास्त्री ने बताया कि श्रीमद्भागवत में प्रसंग आता है कि दैत्य राज हिरण्यकस्यपु ने ब्रह्मा की तपस्या कर वरदान प्राप्त किया वरदान प्राप्त किया और स्वर्ग से देवताओं को भगा कर स्वयं इंद्र के सिंहासन पर विराजमान हो गया और ऋषि मुनियों को सताने लगा। इसी बीच हिरण्यकस्यपु की पत्नी कयादू के गर्भ से भक्त प्रहलाद का जन्म हुआ। प्रहलाद जन्म से ही भगवान नारायण की भक्ति में लग गया। हिरण्यकस्यपु ने अपने पुत्र प्रहलाद को मारने के अनेक उपाय किए। लेकिन प्रहलाद का बाल भी बांका नही कर पाया। भगवान नारायण हर संकट से प्रहलाद की रक्षा करते रहे। हिरण्यकस्यपु ने प्रहलाद से पूछा कौन है जो तेरी रक्षा कर रहा है। प्रहलाद ने बताया कि कण कण में विराजमान नारायण उनकी रक्षा करते है। हिरण्यकस्यपु ने वही पर एक खंभे पर मुष्टिका का प्रहार किया और देखते ही देखते भगवान नरसिंह रूप में प्रगट हो गए और हिरण्यकस्यपु को पकड़ अपनी जंघाओं पर लिटा दिया। हिरण्यकस्यपु ने कहा कि उसे ब्रह्मा से वरदान है मैं बारह महीनों में किसी महीने नहीं मरुंगा। तब नरसिंह भगवान ने कहा मेने तेरे संहार के लिए ये तेरहवां महीना अधिक मास बनाया है और देखते ही देखते भगवान ने हिरण्यकस्यपु का संहार कर दिया। भगवान ने कहा जो भी इस महीने मेरी कथा का श्रवण करेगा मैं हमेशा उस की रक्षा करूंगा। इसलिए अधिक मास में भगवान को पाने के लिए भगतजन भगवान की लीला कथाओं का आयोजन करते हैं। इस अवसर पर मुख्य जजमान किरण चंदनानी,राधा कृष्ण चंदनानी,ग्रीष्मा चंदनानी,पंडित गणेश कोठारी, पंडित जगदीश प्रसाद कंदूरी, पंडित विष्णु शर्मा, यशोदा प्रसाद आदि ने भागवत पूजन संपन्न किया।