श्री नीलेश्वर महादेव मंदिर के महंत प्रेमदास महाराज के ब्रह्मलीन होने पर संत समाज में शोक की लहर

 


हरिद्वार। बैरागी संप्रदाय के संत श्री नीलेश्वर महादेव मंदिर के महंत प्रेमदास महाराज ब्रह्मलीन हो गए। लंबे समय से अस्वस्थ चल रहे महंत प्रेमदास महाराज ने बुधवार की सुबह गौरीशंकर मंदिर परिसर स्थित अपने आवास में अंतिम सांस ली। गौरीशंकर महादेव मंदिर परिसर में संत समाज व श्रद्धालु भक्तों की मौजूदगी में उनका अंतिम संस्कार किया गया। उनके परम शिष्य स्वामी हरिदास महाराज ने उन्हें मुखाग्नि प्रदान की। महंत प्रेमदास महाराज के ब्रह्मलीन होने पर संत समाज ने शोक व्यक्त करते हुए उन्हें भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। अखाड़ा परिषद अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि दिव्य महापुरूष महंत प्रेमदास महाराज के ब्रह्मलीन होने से संत समाज व सनातन जगत को अपूरणीय क्षति हुई है। महंत प्रेमदास महाराज के ब्रह्मलीन होने से संत समाज में जो रिक्तता आयी है। उसकी पूर्ति असंभव है। अखाड़ा परिषद के महामंत्री एवं श्री पंच निर्मोही अनी अखाड़े के अध्यक्ष श्रीमहंत राजेंद्र दास महाराज ने कहा कि मधुर भाषी,मिलनसार और विनम्रता की प्रतिमूर्ति महंत प्रेमदास महाराज संत समाज के प्रेरणा स्रोत थे। उनकी शिक्षाएं हमेशा ही समाज का मार्गदर्शन करती रहेंगी। महंत विष्णुदास एवं महंत रघुवीर दास महाराज ने कहा कि सनातन धर्म के प्रचार प्रसार के साथ समाज को ज्ञान की प्रेरणा देकर अध्यात्म के मार्ग अग्रसर करने में महंत प्रेमदास महाराज का योगदान सदैव स्मरणीय रहेगा। महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद महाराज एवं सतपाल ब्रह्मचारी ने कहा कि ब्रह्मलीन महंत प्रेमदास महाराज भगवान शिव के अनन्य भक्त थे। सावन में संसार का परित्याग कर महंत प्रेमदास महाराज शिव लोक को गमन कर गए। मेयर अनिता शर्मा,मेयर प्रतिनिधि अशोक शर्मा, महंत सत्यव्रतानंद, स्वामी कपिल मुनि,स्वामी ललितानंद गिरी,स्वामी ऋषि रामकृष्ण, महंत गोविंददास, महंत कौशलपुरी,बिपनानंद, स्वामी नागेंद्र ब्रह्मचारी,स्वामी आदियोगी,स्वामी रविदेव शास्त्री,स्वामी दिनेश दास, महंत गंगादास, महंत त्रिवेणी दास, महंत प्रमोद दास, महंत प्रेमदास, स्वामी कृष्ण मुनि,महंत नारायण दास पटवारी,महंत बिहारी शरण,महंत पवित्र दास,महंत शिवम महाराज, स्वामी परमेश्वर मुनि,समाजसेवी प्रमोद शर्मा मिठ्ठू,विमल चौधरी, पूनम मिश्रा सहित बड़ी संख्या में संत महापुरूष व श्रद्धालु भक्त मौजूद रहे।