आयकर की चोरी व्यापार के विकास में बाधक है
हरिद्वार। वित्तीय मामलों के जानकार सीए आशुतोष पांडेय ने कहा कि आयकर की चोरी व्यापार के विकास में बाधक है। ईस कथन के समझने के लिए आयकर की चोरी और आयकर की बचाव में फर्क समझना पड़ेगा। सीए आशुतोष पांडेय ने कहा कि कर चोरी का तात्पर्य करों को कम करने के अवैध तरीकों से है, जैसे आय स्रोतों को छिपाना। कर चोरी एक अपराध है जिसके लिए निर्धारिती को कानून के तहत दंडित किया जा सकता है। टैक्स बचाव किसी की वित्तीय स्थिति का सबसे कुशल तरीके से विश्लेषण करके कर योग्य आय को कम करने के लिए सरकारी उपकरणों और कर-मुक्त उपकरणों के उपयोग से है। उन्होंने कहा कि एक झोला छाप डॉक्टर आपकी मूल समस्या का जाने बिना दर्द निवारक खिलाता रहता है। आपको तत्काल लाभ हो जाता है किन्तु आपकी छोटी सी बीमारी कुछ समय के बाद बड़ी बीमारी बन जाती है। उसी प्रकार अधूरे ज्ञान के साथ कुछ लोग मार्किट में प्रोफेशनल सर्विस देते रहते है। ये लोग गलत तरीकों को अपना कर एक बार व्यपारियों का टैक्स कम करवा देते है या रिफंड करवा देते है किन्तु बाद व्यापारियों को बहुत परेशानी होती है,जब वो व्यापार के विस्तार होने पर बैंक से ऋण लेने जाते है। सीए आशुतोष पांडेय ने कहा कि व्यापार के तीव्र विकास के लिए साख अच्छा होना चाहिए। ऐसे में जब हम जीएसटी बिल पर माल खरीदते है और टैक्स बचाने के लिए बिना रसीद के माल बेंच देते है तो टर्नओवर अनुपात खराब हो जाता है,स्टॉक होल्डिंग पीरियड ज्यादा आता है,नेट प्रॉफिट अनुपात कम आता है। इन बातों का आपके लोन लेने की क्षमता पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। यदि सेल आप जीएसटी बिल पर करते है किन्तु फर्जी खर्चे डाल कर प्रॉफिट कम कर देते है। तो भी आपके लोन लेने की क्षमता पर नकारात्मक असर आएगा। व्यापारियों को कर बचाने के वैधानिक उपाय ही चुनने चाहिए,कच्चे और क्षणिक लालच में न पड़ें। किसी के बहकावें में न आये। जितना ज्यादा व्यापारिक गतिविधियां आवश्यक है उतना ही आवश्यक है अपनी बुक्स को सही समय पर क्लोज करना और सही कर डिपाजिट करना।