हरिद्वार। अपने से आधी से भी कम उम्र की युवती का मानसिक एवं शारीरिक शोषण कर उसे आत्महत्या करने के लिए मजबूर करने वाले रिश्ते के चाचा को तृतीय अपर जिला एवं सत्र न्यायाधीश अनिरुद्ध भट्ट ने 7 वर्ष की कठोर कैद तथा 50 हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है। शासकीय अधिवक्ता कुशल पाल सिंह चौहान ने बताया कि कनखल निवासी अंजू बंसल ने 25 दिसंबर 2010 को एक तहरीर कनखल थाना पुलिस को दी थी जिसमें उसने कहा था कि 21 दिसंबर 2010 को उसकी 19 वर्षीय बेटी को मौसेरा देवर 42 वर्षीय राजीव मित्तल पुत्र सत्य प्रकाश निवासी मानसी एनक्लेव जगजीतपुर,कनखल हरिद्वार बहला-फुसलाकर भगा ले गया था। जिसकी रिपोर्ट उन्होंने कनखल थाने में दर्ज कराई थी। तभी से राजीव मित्तल व उसकी पुत्री को लेकर फरार चल रहा था। राजीव मित्तल की पत्नी अंजू मित्तल को सब कुछ पता था लेकिन वह रिपोर्ट कर्ता की मदद करने की वजह उसके साथ गाली गलौज करती थी। उसके बाद 22मार्च 2011 को शाम को करीब 7ः45 बजे रिपोर्ट कर्ता के पास उसकी पुत्री का एक पीसीओ से फोन आया था। जिसमें उसने बताया था चाचा राजीव मित्तल एक गंदा आदमी है जो उसका लगातार 6 महीने से शारीरिक एवं मानसिक शोषण कर रहा है। जिसकी वजह से उसकी जिंदगी बरबाद हो चुकी है और उसने अपनी मां से माफी मांगते हुए फोन काट दिया था। उसी दिन शाम को रिपोर्ट कर्ता के पास फोन से उसकी पुत्री के गंग नहर में कूद कर लापता होने की सुचना मिली थी।घटना के करीब 9 दिन बाद रानीपुर झाल से मृतका का शव बरामद हुआ था। पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज करने के बाद आरोपी राजीव मित्तल के खिलाफ आरोप पत्र न्यायालय में दाखिल किया था। मुकदमे में वादी पक्ष की ओर से 14 गवाह तथा बचाव पक्ष की ओर से एक गवाह का बयान दर्ज कराया गया। दोनों पक्षों को सुनने के बाद न्यायालय ने आरोपी राजीव मित्तल को दोषी पाते हुए 7 वर्ष की कठोर कैद एवं पचास हजार रुपए जुर्माने की सजा सुनाई है।
आत्महत्या के लिए मजबूर करने के आरोपी को सात साल की कठोर कैद की सजा