संत और भगवान के प्रति श्रद्धावान को ही ज्ञान की प्राप्ति होती है-स्वामी विज्ञानानंद


 हरिद्वार। संस्कारित शिक्षा एवं धर्म क्षेत्र की प्रतिष्ठित संस्था श्री बाल ब्रह्मचारी मिशन निर्धन निकेतन के परमाध्यक्ष ऋषि रामकृष्ण महाराज ने अपने पूज्य गुरुजनों की स्मृति  का संवर्धन करते हुए पंचपुरी के वयोवृद्ध एवं ज्ञानवृद्ध शतायु संत श्रीगीता विज्ञान आश्रम के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती एवं संस्कृत विद्यालय के प्राचार्य डा.भारत नंदन चौबे को सनातन संस्कृति के संवर्धन में विशेष योगदान देने के लिए प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया। निर्धन निकेतन में आयोजित अभिनंदन समारोह को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती महाराज ने कहा कि संस्कृत ही पूर्ण विद्या है और ज्ञान किसी पुस्तक में न होकर संत महापुरुषों के सानिध्य से मिलता है। परमात्मा सभी जगह सुलभ रहते हैं। लेकिन संत एवं भगवान की महिमा को गाया नहीं जा सकता। संत और भगवान के प्रति श्रद्धावान को ही ज्ञान की प्राप्ति होती है और प्रेम पत्थर को भी भगवान बना देता है। निर्धन निकेतन की धर्म, संस्कृत, संस्कार एवं संस्कृति के सेवा प्रकल्पों की मुक्त कंठ से सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि युवा संत ऋषि रामकृष्ण महाराज साधुवाद के पात्र हैं। जिन्होंने अपने गुरु के द्वारा प्रारंभ सेवा प्रकल्पों में वृद्धि की। उन्होंने ट्रष्ट को उन्नति की ओर अग्रसर करने के लिए सभी ट्रस्टियों के प्रयासों एवं गुरु भक्ति की भी सराहना की। संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति डा.दिनेश चंद्र शास्त्री ने कहा कि भारत गुरुसत्ता को मानने वाला देश है और गुरु तथा माता-पिता के ऋण से व्यक्ति कभी उऋण नहीं हो सकता। स्वामी ललितानंद गिरि ने निर्धन निकेतन को शिक्षा एवं अध्यात्म का प्रमुख केंद्र बताया। समारोह को अध्यक्षीय पद से संबोधित करते हुए महामंडलेश्वर स्वामी भगवत स्वरूप ने संतों की वाणी का समर्थन करते हुए कहा कि सच्चे और चरित्रवान संत को ही योग्य शिष्य की प्राप्ति होती है। उन्होंने ऋषि रामकृष्ण एवं श्री बाल ब्रह्मचारी मिशन के उज्जवल भविष्य की कामना की। अभिनंदन समारोह को पूर्व पालिका अध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी ,गुरुकुल महाविद्यालय के पूर्व प्राचार्य डा.हरिगोपाल शास्त्री, डा.अजय कौशिक, महंत मोहन सिंह, डा.अरुण दास तथा डा.भारत नंदन चौबे ने भी संबोधित किया। डा.चंद्र भूषण शुक्ला ने अभिनंदन पत्र पढ़कर सुनाया तथा निर्धन निकेतन के परमाध्यक्ष ऋषि रामकृष्ण ने सभी संत महापुरुषों का अभिनंदन तथा आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता महामंडलेश्वर स्वामी भगवत स्वरूप ने तथा संचालन डॉ.सुबोध मुनि ने किया। इस अवसर पर पंचपुरी के सभी तेरह अखाड़ों के संत तथा बड़ी संख्या में श्री बाल ब्रह्मचारी मिशन निर्धन निकेतन के ट्रस्टी एवं अनुयायी उपस्थित रहे।