अमोघ फल प्रदान करती है सावन में की गयी शिव आराधना-महंत प्रेमदास

 हरिद्वार। सावन में भगवान शिव का जलाभिषेक करने के लिए सिद्धपीठ नीेलेश्वर महादेव मंदिर में प्रतिदिन भक्तों की अपार भीड़ उमड़ रही है। मंदिर में स्थित शिवलिंग का रोजाना विभिन्न प्रकार के पुष्पों से विशेष श्रंग्रार किया जा रहा है। मंदिर में जलाभिषेक करने आए भक्तों को शिव महिमा से अवगत कराते हुए नीलेश्वर महादेव मंदिर के परमाध्यक्ष महंत प्रेमदास महाराज ने कहा कि सावन भगवान शिव की भक्ति को समर्पित है। सावन में शिव आराधना का अपना अलग महत्व है। सावन में विधि विधान से शिव आराधना करने से भक्त को शुभ फल की प्राप्ति होती है। महंत प्रेमदास महाराज ने कहा कि पुराणों के अनुसार सावन में भोलेनाथ भगवान शंकर की पूजा, अभिषेक, स्तुति और मंत्र जाप का खास महत्व है। महादेव शिव की आराधना से शिव और शक्ति दोनो प्रसन्न होते हैं और उनकी कृपा से दैविक, दैहिक और भौतिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। सावन में भगवान शिव के रूद्राभिषेक का भी विशेष महत्व है। सावन में की गयी शिव आराधना साधक को अमोघ फल प्रदान करती है। उन्होंने कहा कि सावन में भगवान विष्णु के चार माह के लिए योगनिद्रा में चले जाने के पश्चात शिव ही सृष्टि का संचालन और पालन करते हैं। उन्होंने कहा कि भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए गंगा जल में दूध मिलाकर शिवलिंग पर अभिषेक करें। दूध सकारात्मक ऊर्जा का सबसे अच्छा संवाहक है। जब शिवलिंग पर दूध चढ़ाया जाता है तो वातावरण में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। जिसके प्रभाव से भक्त के जीवन में छायी नकारात्मकता दूर होती है और सुख समृद्धि की प्राप्ति होती है।