‘‘प्रेमचंद के साहित्य की प्रासंगिकता और साहित्य शिक्षण‘‘विषय पर संगोष्ठी का आयोजन


 हरिद्वार। वर्तमान परिवेश में हमें अपने बच्चों को और अधिक संवेदनशील बनाने की आवश्यकता है। यह कार्य बच्चों को साहित्य के प्रति उनकी रूचि जगाकर किया जा सकता है। बच्चों में पढ़ने की आदत वह भी अच्छे साहित्यकारों को बेहद जरुरी है। यह बात अजीम प्रेमजी फाउंडेशन की और से आये मुख्य वक्ता खजान सिंह ने कही। नगर निगम सभागार में ‘‘प्रेमचंद के साहित्य की प्रासंगिकता और साहित्य शिक्षण‘‘विषय पर आयोजित गोष्ठी को सम्बोधित करते हुए मुख्य वक्ता खजान सिंह ने कहा की मुंशी प्रेमचंद की एक एक रचना आज भी प्रासंगिक है। उनके साहित्य की एक खूबी है कि उसको पढ़ने मात्र सही आदमी अपने जड़ से जुड़ा रहता है तथा स्वभावतः संवेदनशील होता है। उन्होंने कहा की अच्छा पढ़ना व्यक्तित्व के निखार के लिये जरुरी है। इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रुप में उपस्थित मुख्य शिक्षा अधिकारी श्री केके गुप्ता ने कहा कि हमारे विद्यालयों में बच्चे तथा उनके साहित्य का अध्ययन करें। मुंशी प्रेमचंद की एक एक रचना कालजई है तथा जमीन से जुड़ी हुई है। अपने सम्बोधन में श्रीमती आकांशा राठोड़ ने कहा की महिला सशक्तिकरण में प्रेमचंद का साहित्य समय पूर्व काफी महत्वपूर्ण बाते इंगित करता है। खंड शिक्षा अधिकारी नारसन जगदीश प्रसाद काला ने कहा कि हमे अपने कक्षा शिक्षण में पाठ्य पुस्तकों के अलावा अन्य सहायक सामग्री का इस्तेमाल पर भी ध्यान देना चाहिए। खंड शिक्षा अधिकारी भगवानपुर संजीव जोशी ने प्रेमचंद के साहित्य की वर्तमान प्रासंगिकता पर ध्यान देने की जरूरत पर भी बल दिया। इस अवसर पर अंबरीष बिष्ट ने अजीम प्रेमजी फाउंडेशन का परिचय दिया। अंत में दीपक दीक्षित ने सेमीनार में पधारे अथितियो का धन्यवाद ज्ञापित किया। कार्यक्रम का संचालन वीर सिंह पंवार ने किया। इस अवसर पर उच्च प्राथमिक, हाई स्कूल,व इन्टर कॉलेज के हिन्दी अध्यापक,उप शिक्षा अधिकारी मेराज अहमद,अजीम प्रेमजी फाउंडेशन से वीरेंदर सिंह छोकर,प्राची आनंद, प्रवीण,धरमवीर, दिनेश सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।