अत्यधिक जनसंख्या हमारे पर्यावरण को प्रभावित करने का एक प्रमुख कारण

 हरिद्वार। देश में बढ़ती जनसंख्या चिंता का विषय पर इंटरनेशनल गुडविल सोसायटी ऑफ इंडिया हरिद्वार चैप्टर द्वारा वेबिनार का आयोजन किया गया। इस अवसर पर अध्यक्ष इंजीनियर मधुसूदन आर्य ने कहा कि विश्वभर में किसी भी दिन को सेलिब्रेट करने का कोई उद्देश्य होता है और उद्देश्य के साथ हर वर्ष कोई नयी थीम के तहत काम किया जाता है और लोगों को जानकारी प्रदान की जाती है। वर्तमान समय में विश्व की जनसंख्या 8 अरब से ज्यादा है जिसका नकारात्मक प्रभाव दुनियाभर के पर्यावरण पर तेजी से पड़ रहा है। इसी कारण से पर्यावरण में हो रहे तेजी से बदलाव रोकने और लोगों के स्वास्थ्य, शिक्षा और महिला सशक्तिकरण को बढ़ावा देना इसका प्रमुख महत्व है। इसके साथ ही दुनियाभर को इस बात के लिए प्रेरित करना है की एक दिन विश्व स्थाई जनसंख्या को प्राप्त कर सके और हमारी पृथ्वी और पर्यावरण को कोई भी नुकसान न हो। संगठन सचिव एसएस राणा ने कहा कि जिस तरह से जनसंख्या में वृद्धि होती जा रही है यह विश्व के लिए एक विकराल समस्या बन गई है। जनसंख्या में वृद्धि होने से पृथ्वी का भू-भाग नहीं बढ़ता। अर्थात विश्व में जनसंख्या बढ़ने के कारण,रहने के लिए जमीन की कीमत बढ़ती जा रही है। लोग अपने मकान को कई मंजिल का बना रहे हैं। मकानों के मंजिलें भी एक निश्चित सीमा तक बनाए जा सकते हैं। पुनः जनसंख्या वृद्धि की कोई सीमा नहीं है। डॉ महेंद्र आहूजा ने कहा कि जनसंख्या वृद्धि के वजह से प्राकृतिक संसाधन का बहुत अधिक मात्रा में दोहन हो रहा है, यह हमारे पर्यावरण के लिए संकट का संकेत है। अत्यधिक जनसंख्या हमारे पर्यावरण को प्रभावित करने का एक प्रमुख कारण है। हमें प्राकृतिक संसाधन को निरंतर काल तक अपनी आने वाली पीढ़ियों के लिए बचना चाहिए। इसके लिए जनसंख्या पर नियंत्रण अति आवश्यक है।            कोषाध्यक्ष डॉ सुनील बत्रा ने कहा कि विश्व में बढ़ते जनसंख्या के साथ अनेक प्रकार के समस्याएं बढ़ जाती है। जिससे हमारा जीवन कठिनाइयों से भर जाता है। अतः समस्याओं के निवारण के लिए सबसे पहले हमें जनसंख्या नियंत्रण के उचित प्रयास करने चाहिए। रेखा नेगी ने कहा कि भारत एक विकासशील देश है और यहां की जनसंख्या भी तेजी से विकास कर रही है। जनसंख्या वृद्धि के मामले में भारत का विश्व में दूसरा स्थान है। पहले पायदान पर चीन है किंतु विशेषज्ञों का मानना है कि भारत शीघ्र ही चीन को पछाड़कर विश्व की सर्वाधिक जनसंख्या वाला देश बन जाएगा किंतु यह जनसंख्या वृद्धि ठीक नहीं। इसके भयंकर दुष्परिणाम सामने आ रहे हैं। सीमित प्राकृतिक संसाधन और मनुष्य की असीमित आवश्यकताओं से असंतुलन का खतरा बढ़ रहा हैं।  नीलम रावत ने कहा कि वर्तमान समय में हमारे देश के लिए जनसंख्या वृद्धि एक नई चुनौती बन गई है। जिस पर नियंत्रण पाने के लिए हमारे देश की सरकार को काफी कठिनाई का सामना करना पड़ रहा है। वेबिनार में विभिन्न प्रान्तों से सोसाइटी के सदस्य जिसमे सुनील त्रिपाठी, शहनवाज खा,राजीव राय,सुरेश चन्द्र गुप्ता,विनोद कुमार मित्तल डॉक्टर अरुण पाठक एडवोकेट प्रशांत राजपूत,नरेश मोहन,डॉ पवन सिंह,विश्वास सक्सेना, अन्नपूर्णा बंधुनी, अविनाश चंद्र, अशोक राघव, विमल कुमार गर्ग, नूपुर पाल, साधना रावत, प्रीति जोशी, डॉ मनीषा दीक्षित एवं अन्य महानुभाव उपस्थित रहे