हरिद्वार। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के तत्वावधान में श्याम नगर कॉलोनी ज्वालापुर दुर्गा घाट दुर्गा मंदिर में श्रीमद् भागवत कथा के शुभारंभ पर श्रद्धालुजनों ने भव्य कलश यात्रा निकाली। कथा के प्रथम दिवस पर कथा व्यास भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने कलश यात्रा का महत्व बताते हुए कहा कि देवी देवताओं ने भगवान नारायण से प्रार्थना की कि दैत्यों के संग युद्ध में उन्हें हमेशा हार का सामना करना पड़ता है। कुछ ऐसा उपाय कीजिए जिससे देवताओं की जीत और दैत्यों की हार हो। तब भगवान नारायण ने कहा कि समुद्र मंथन करें, इससे जो अमृत प्राप्त होगा। उस अमृत का पान करने से देवता अमर हो जाएंगे। परंतु बिना दैत्यों के सहयोग के समुद्र मंथन नहीं हो सकता है। देवता भगवान नारायण की बात मान कर दैत्यों के पास समुद्र मंथन का प्रस्ताव लेकर गए कहा कि समुद्र मंथन से जो भी रत्न निकलेंगे उन्हें बराबर बांट देंगे। दैत्यों और देवताओं ने मंदराचल पर्वत की मथानी और वासुकी नाग की रस्सी बनाकर समुद्र मंथन किया। समुद्र मंथन से सबसे पहले हलाहल विष निकला। जिसे भगवान शिव ने अपने कंठ में धारण किया। जिससे उनका नाम नीलकंठ पड़ा। समुद्र से चौदहवां रत्न अमृत कलश निकला। भगवान नारायण ने मोहिनी बनाकर अमृत का पान देवताओं को करा दिया। जिससे देवता अमर हो गए। तभी से सनातन धर्म में प्रत्येक पूजन, यज्ञ, अनुष्ठान में कलश स्थापना की जाती है। श्रीमद् भागवत कथा से पूर्व कलश यात्रा इसलिए निकली जाती है। ताकि क्षेत्र में जितने भी घर परिवार हैं सभी को अमृत तत्व की प्राप्ति हो। सभी के रोग, दोष, कष्ट, संकट दूर हांे। भागवत महात्म्य का श्रवण कराते हुए शास्त्री ने बताया कि श्रीमद् भागवत कथा श्रवण करने से भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य की प्राप्ति होती है और पितरों को मोक्ष मिलता है। इसलिए सभी को श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण एवं आयोजन अवश्य कराना चाहिए। इस अवसर पर ओम प्रकाश पाहवा,दिनेश मल्होत्रा, दीपक सेठ,नीलम सेठ,मनस्वनी सेठ,माधव सेठ,अभिषेक मिश्रा,कमल खत्री,रितिका खत्री,हर्षा खत्री,ममता खत्री,पंकज अरोड़ा,श्रीमती फुलेश शर्मा,प्रज्ञा शर्मा,शांति दर्गन,विष्णु गौड,ममता शर्मा,सुनीता पाहवा,मधु मल्होत्रा,कोमल रावत,गुंजन जयसिंह,ज्योति शर्मा,वंदना जयसिंह आदि ने भागवत पूजन कर कथा व्यास से आशीर्वाद लिया।
श्रीमद्भागवत कथा के शुभारंभ पर श्रद्धालुओं ने निकाली कलश यात्रा
हरिद्वार। श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के तत्वावधान में श्याम नगर कॉलोनी ज्वालापुर दुर्गा घाट दुर्गा मंदिर में श्रीमद् भागवत कथा के शुभारंभ पर श्रद्धालुजनों ने भव्य कलश यात्रा निकाली। कथा के प्रथम दिवस पर कथा व्यास भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने कलश यात्रा का महत्व बताते हुए कहा कि देवी देवताओं ने भगवान नारायण से प्रार्थना की कि दैत्यों के संग युद्ध में उन्हें हमेशा हार का सामना करना पड़ता है। कुछ ऐसा उपाय कीजिए जिससे देवताओं की जीत और दैत्यों की हार हो। तब भगवान नारायण ने कहा कि समुद्र मंथन करें, इससे जो अमृत प्राप्त होगा। उस अमृत का पान करने से देवता अमर हो जाएंगे। परंतु बिना दैत्यों के सहयोग के समुद्र मंथन नहीं हो सकता है। देवता भगवान नारायण की बात मान कर दैत्यों के पास समुद्र मंथन का प्रस्ताव लेकर गए कहा कि समुद्र मंथन से जो भी रत्न निकलेंगे उन्हें बराबर बांट देंगे। दैत्यों और देवताओं ने मंदराचल पर्वत की मथानी और वासुकी नाग की रस्सी बनाकर समुद्र मंथन किया। समुद्र मंथन से सबसे पहले हलाहल विष निकला। जिसे भगवान शिव ने अपने कंठ में धारण किया। जिससे उनका नाम नीलकंठ पड़ा। समुद्र से चौदहवां रत्न अमृत कलश निकला। भगवान नारायण ने मोहिनी बनाकर अमृत का पान देवताओं को करा दिया। जिससे देवता अमर हो गए। तभी से सनातन धर्म में प्रत्येक पूजन, यज्ञ, अनुष्ठान में कलश स्थापना की जाती है। श्रीमद् भागवत कथा से पूर्व कलश यात्रा इसलिए निकली जाती है। ताकि क्षेत्र में जितने भी घर परिवार हैं सभी को अमृत तत्व की प्राप्ति हो। सभी के रोग, दोष, कष्ट, संकट दूर हांे। भागवत महात्म्य का श्रवण कराते हुए शास्त्री ने बताया कि श्रीमद् भागवत कथा श्रवण करने से भक्ति, ज्ञान एवं वैराग्य की प्राप्ति होती है और पितरों को मोक्ष मिलता है। इसलिए सभी को श्रीमद् भागवत कथा का श्रवण एवं आयोजन अवश्य कराना चाहिए। इस अवसर पर ओम प्रकाश पाहवा,दिनेश मल्होत्रा, दीपक सेठ,नीलम सेठ,मनस्वनी सेठ,माधव सेठ,अभिषेक मिश्रा,कमल खत्री,रितिका खत्री,हर्षा खत्री,ममता खत्री,पंकज अरोड़ा,श्रीमती फुलेश शर्मा,प्रज्ञा शर्मा,शांति दर्गन,विष्णु गौड,ममता शर्मा,सुनीता पाहवा,मधु मल्होत्रा,कोमल रावत,गुंजन जयसिंह,ज्योति शर्मा,वंदना जयसिंह आदि ने भागवत पूजन कर कथा व्यास से आशीर्वाद लिया।