रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम में पहले से ही एकीकृत चिकित्सा की पद्धति अपनाई जा रही है

 संगोष्ठी में जुटे विशेषज्ञ चिकित्सकों ने दिए महत्वपूर्ण सुझाव


हरिद्वार। रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम कनखल, एम्स नई दिल्ली, ऋषिकेश एवं आईएमए देहरादून के संयुक्त तत्वावधान में गोष्ठी का आयोजन किया गया। संगोष्ठी में एविडेंस बेस्ड इंटीग्रेटिव मेडिसिन पर चर्चा हुई.देशभर में चल रहे  जी-20 और यूथ-20 कार्यक्रमों की श्रृंखला में इस गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में बैंगलोर से आए पदम श्री डॉ बीएन गंगाधर,जो आयुष मंत्रालय में अध्यक्ष हैं। पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट के उपाध्यक्ष और मुख्य वैज्ञानिक डॉ अनुराग वार्ष्णेय ने अपना प्रेजेंटेशन दिया। रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम के मेडिकल सुपरिटेंडेंट स्वामी डॉ दयाधिपानंद महाराज ने बताया कि देशभर में जी20 और यूथ 20 किस संख्या में एकीकृत चिकित्सा के प्रमाणीकरण के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर विशेषज्ञों द्वारा प्रकाश डाला गया। एम्स दिल्ली के डायरेक्टर डॉक्टर एम श्रीनिवास ने कहा कि रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम में पहले से ही एकीकृत चिकित्सा की पद्धति अपनाई जा रही है। टाइप वन डायबिटीज रोगियों के लिए योग द्वारा बहुत सफल परिणाम सामने आए हैं .एम्स भी चिकित्सा एवं शोध में रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम से मिलकर आगे कार्य करेगा।.समाजसेवी विकास गर्ग ने कहा कि इंजीनियर होने के नाते जैसे मशीनों को लंबे दे तक चलाने के लिए उनका रिस्क एसेसमेंट कर कार्य किया जाता है। उसी तरह हॉस्पिटल में भी रोगियों के लिए क्या दुष्प्रभाव हो सकते हैं उन्हें पहले जानकर चिकित्सा पद्धति देने से लाभ होगा। रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम के सचिव स्वामी विश्वेशानंद ने कहा कि हमारा अहर्निश प्रयास रहता है कि कम से कम रोगी अस्पताल में आए रोग होने से पहले ही उन्हें रोग के बचाव की जानकारी दी जा सके। गोष्ठी की शुरुआत करते हुए ब्रिगेडियर डॉक्टर बीपी सिंह ने कहा भारतीय पारंपरिक चिकित्सा पद्धति एवं आधुनिक एलोपैथिक मेडिसिन किस तरह संयुक्त रूप से मनुष्य के लिए स्वास्थ्य लाभ में सहायक हो सकते हैं। .पदमश्री डॉक्टर गंगाधर ने प्रमाणिक तथ्यों एवं निमहंस बैंगलोर के आंकड़े प्रस्तुत करते हुए कहा कि हर एक चिकित्सा पद्धति को प्रमाणित रुप से प्रस्तुत किया जा सकता है जैसे अवसाद के मरीजों में योग और सुदर्शन क्रिया द्वारा यह पाया गया कि 3 महीने में उनके कॉर्टिसोल स्ट्रेस हॉरमोन लेबल कम हो गए। ओम के उच्चारण से उनके गावा लेवल मैं बढ़ोतरी पाई गई जिससे यह प्रमाणित होता है कि योग द्वारा अवसाद, डिप्रेशन, शिजोफ्रेनिया जैसी बीमारियों में अत्यंतिक लाभ होता है। किसी भी अन्य चिकित्सा पद्धति की तुलना में.कहीं-कहीं रोगियों को दवा और योग दोनों देकर भी लाभ पाया गया। पतंजलि रिसर्च इंस्टीट्यूट से आए डॉ अनुराग वाषर्््णेय ने कहा कि पिछले 200 वर्षों से आयुर्वेद में जड़ी बूटियों खोजने की दिशा में नया अनुसंधान नहीं हुआ है जिसके द्वारा कोई नई दवा बनाई गई हो। पतंजलि योगपीठ पिछले 5 वर्षों से इस दिशा में निरंतर कार्यरत है और कई नए शोध पत्र विश्व की जानी-मानी पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं। स्वामी रामदेव एवं अचार्य बालकृष्ण 500 वैज्ञानिकों की टीम के सहयोग से आयुर्वेद को प्रमाणित रुप से क्लिनिकल ट्रायल द्वारा विश्व स्तर पर स्थापित करने में जुटे हैं। गोष्ठी में उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. सुनील जोशी जाने-माने हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अग्रोही,डॉ बक्शी,डॉक्टर दीपक, डॉ अवनीश उपाध्याय,एम्स के विभिन्न विभागों के डॉक्टर,सीमा डेंटल कॉलेज के छात्र,रामकृष्ण मिशन सेवाश्रम के साधु,संत,स्वामी अनाद्यानंद,त्यागिवरानंद, डॉक्टर,नर्सिंग स्टाफ एवं पैरामेडिकल स्टाफ मौजूद रहे