कमजोर समझे जाने वाली महिला ने हर शक्ति में प्रवीणता हासिल कर ली है

 हरिद्वार। राष्ट्रीय मानव अधिकार संरक्षण समिति ट्रस्ट रजिस्टर्ड द्वारा अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस पर वेबीनार का आयोजन किया गया। संस्था के राष्ट्रीय अध्यक्ष इंजी० मधुसूदन आर्य ने कहा कि मां अर्थात माता के रूप में नारी, धरती पर अपने सबसे पवित्रतम रूप में है। माता यानी जननी। मां को ईश्वर से भी बढ़कर माना गया है,क्योंकि ईश्वर की जन्मदात्री भी नारी ही रही है। उन्होने कहा कि बदलते समय के हिसाब से संतानों ने अपनी मां को महत्व देना कम कर दिया है। यह चिंताजनक पहलू है। सब धन-लिप्सा व अपने स्वार्थ में डूबते जा रहे हैं। परंतु जन्म देने वाली माता के रूप में नारी का सम्मान अनिवार्य रूप से होना चाहिए,जो वर्तमान में कम हो गया है,यह सवाल आजकल यक्षप्रश्न की तरह चहुंओर पांव पसारता जा रहा है। इस बारे में नई पीढ़ी को आत्मावलोकन करना चाहिए। महिला अध्यक्ष सपना बंसल गाजियाबाद ने कहा कि आधुनिक युग में नारी ने अपने महत्व को पहचाना है उसने दास्तां के बंधनों को तोड़ दिया और सुष्मिता की सोच ली। अगर आजकल की लड़कियों पर नजर डालें तो हम पाते हैं कि ये लड़कियां आजकल बहुत बाजी मार रही हैं। इन्हें हर क्षेत्र में हम आगे बढ़ते हुए देखा जा सकता है। विभिन्न परीक्षाओं की मेरिट लिस्ट में लड़कियां तेजी से आगे बढ़ रही हैं। किसी समय इन्हें कमजोर समझा जाता था,किंतु इन्होंने अपनी मेहनत और मेधा शक्ति के बल पर हर क्षेत्र में प्रवीणता अर्जित कर ली है। शशि चावला ने कहा कि बच्चों में संस्कार भरने का काम मां के रूप में नारी द्वारा ही किया जाता है। यह तो हम सभी बचपन से सुनते चले आ रहे हैं कि बच्चों की प्रथम गुरु मां ही होती है। मां के व्यक्तित्व-कृतित्व का बच्चों पर सकारात्मक और नकारात्मक दोनों प्रकार का असर पड़ता है। प्रांतीय उपाध्यक्ष रेखा नेगी ने कहा यूरोपीय देश में नारियां किसी भी क्षेत्र में पुरुषों से पीछे नहीं है। महिलाएँ समाज का मुख्य हिस्सा होती हैं तथा आर्थिक,राजनीतिक और सामाजिक क्रियाओं में एक बड़ी भूमिका निभाती हैं। अन्नपूर्णा बंधुनी ने कहा आधुनिक नारी ने राजनीतिक क्षेत्र में अपनी प्रतिभा का परिचय दिया है। आजकल महिलाओं के साथ अभद्रता की पराकाष्ठा हो रही है। हम रोज ही अखबारों और न्यूज चौनलों में पढ़ते व देखते हैं,कि महिलाओं के साथ छेड़छाड़ की गई या सामूहिक बलात्कार किया गया। इसे नैतिक पतन ही कहा जाएगा। शायद ही कोई दिन जाता हो,जब महिलाओं के साथ की गई अभद्रता पर समाचार न हो। कमला जोशी ने बताया कि आधुनिक महिलाएं नित्य नए क्षेत्रों में कदम रखने हैं मैं उन क्षेत्र में भी मजबूती से पैर जमा रहे हैं जिन पर पुरुषों का एकाधिकार समझाता था। बिजनौर से सविता अग्रवाल ने कहा कि आज महिलाएं समुद्र की गहराई और आकाश की ऊंचाइयों नाप रही है। राजलक्ष्मी जैन ने कहा विदेशों में आधुनिक नारी का ग्रस्त जीवन किसी विशेष जीवन से भरा है। एसोसिएट प्रोफेसर डॉक्टर सीवी अग्रवाल ने कहा कि नारी आजकल पढ़ाई में भी पुरुषों से आगे हैं। महिलाओं को अपने जीवन में सभी क्षेत्रों में समान अधिकार प्राप्त होने चाहिए ताकि उनके मन में किसी भी प्रकार का द्वेष भाव ना रहें और वे भी अपना जीवन शान से जी सके। डॉ मोनिका अग्रवाल, असिस्टेंट डायरेक्टर, भारत सरकार ने कहा कि नारी आजकल सरकार में भी पूर्ण योगदान दे रही है। समाज में महिलाएं और पुरुष दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। महिला और पुरुष दोनों का विकास एक दूसरे पर निर्भर करता है। मंगेश शर्मा ने कहा कि हमें एकजुट होकर अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के कार्यक्रमों को इतना सफल बनाना पड़ेगा ताकि आने वाले समय में महिलाओं के सशक्तिकरण और स्वावलंबन को बढ़ावा देने के लिए किसी विशेष दिन की जरूरत ना पड़े।