हरिद्वार। श्रीगीता विज्ञान आश्रम के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती महाराज ने कहा है कि निरोगी काया व्यक्ति को चिरायु बनाती है। इसके लिए रहन-सहन तथा खानपान प्रकृति के अनुरूप होना चाहिए। राजागार्डन स्थित हनुमत गौशाला में आयोजित अध्यात्मिक विज्ञान विषय पर आयोजित कार्यशाला को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि प्रत्येक व्यक्ति अपने जीवन का स्वयं रक्षक है। स्वस्थ एवं चिरायु जीवन के सूत्र बताते हुए उन्होंने कहा कि संयम, सदाचार, चित्त की प्रसन्नता और दूसरों का सम्मान करने वाला बौद्धिक एवं शारीरिक रूप से विकसित एवं मजबूत होने के साथ स्वस्थ एवं चिरायु जीवन प्राप्त करता है। समाज सेवा को ही भगवान की सच्ची पूजा बताते हुए कहा कि दूसरों का भला चाहने वालों पर भगवान की सर्वाधिक कृपा बरसती है। भारत के ऋषि मुनियों के चिरायु जीवन को संयमित दिनचर्या एवं प्राकृतिक रहन-सहन पर आधारित बताते हुए कहा कि कुछ महापुरुषों ने अल्पायु में भी बड़े कार्य किए हैं। योग एवं हिंदी साहित्य के आचार्य हरिओम ब्रह्मचारी ने प्रमुख योगासनों की उपयोगिता समझाते हुए कहा कि सूर्य सृष्टि के प्रकट देवता हैं, सूर्योदय से पूर्व और सूर्यास्त के बाद व्यक्ति को भोजन नहीं करना चाहिए, यह प्रकृति का नियम है। प्रतिदिन व्यायाम करने और संयम का पालन करने से व्यक्ति सदैव स्वस्थ रहता है। दिनेश चंद्र शास्त्री, स्वामी शिवानंद एवं आचार्य विपिन चंद्र शास्त्री ने स्वस्थ मानवता पर विस्तार पूर्वक चर्चा की। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश,पंजाब,राजस्थान तथा मध्य प्रदेश के अतिरिक्त बड़ी संख्या में स्थानीय श्रद्धालु एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित रहे।