हरिद्वार। होलिकोत्सव महापर्व के रंगों व उमंगों से परिपूर्ण वातावरण में एक सरस काव्य गोष्ठी का आयोजन वरिष्ठ कवि,साहित्यकार तथा चेतना पथ के प्रकाशक व संपादक अरुण कुमार पाठक के टिहरी विस्थापित कालोनी (रानीपुर) पर किया गया। देर शाम तक चली इस गोष्ठी में नगर के अनेक प्रतिष्ठित कवि एवं कवियित्रियों ने अनेक विषयों पर अपनी-अपनी रचनाएँ पढ़ कर खूब तालियाँ बटोरी। कवि देवेन्द्र मिश्र तथा श्रीमती कंचन प्रभा गौतम द्वारा संयुक्त रूप से संचालित,इस कवि गोष्ठी का शुभारम्भ माँ वाग्धीश्वरी के सम्मुख दीप प्रज्जवलन व पुष्पांजलि द्वारा उद्घाटन आर्मी पब्लिक स्कूल,रायवाला (जिला-देहरादून) की प्रधानाचार्या व कवियित्री कैप्टन श्रीमती दीक्षा शर्मा ने किया। गोष्ठी का आरम्भ डा. सुशील कुमार त्यागी ‘अमित‘ की वाणी वंदना ‘वरदात्री वाग्देवि विदुषी विशारदे माँ, मात तेरी महिमा से जग ये महान है‘ से हुआ। इसके बाद डा. दीक्षा शर्मा ने अपनी रचना ‘दिग्भ्रमित राही की राहों को उजागर कर चले, तुम के हृदय को चीरते तुम रात भर जगते चले‘ के साथ ‘प्रलय की रात‘ प्रस्तुत की। अरुण कुमार पाठक ने अपनी गजल ‘कैसे कह दूँ कि मुलाकात नहीं होती है, रोज मिलते हैं,मगर बात नहीं होती है‘ पेश की, प्रेम शंकर शर्मा ‘प्रेमी‘ ने ‘शक्ति शिरोमणि नारी जग में, मौलिकता इसकी पहचान‘ के साथ नारी शक्ति को नमन किया,तो श्रीमती कंचन प्रभा गौतम ने ‘नारी इस सृष्टि की जननी,नारी है मानव आधार, नारी जग की पालनहारी, नारी देवे सब जग तार‘के साथ नारी शक्ति का महिमा मंडन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षा श्रीमती नीता नय्यर ‘निष्ठा‘ने व्यंग्यबाण छोड़ने के अलावा माहिया छंदों की बौछार भी की। डा.अशोक गिरि ने ‘गरीबी को हर जगह में देखा है मैंने, गलियों में नाचते-गाते हुए, सड़कों पर हाथ फैलाते हुए‘ के साथ निबलों व वंचितों की दशा बयाँ की तो अरविन्द दुबे ने ‘रोटी आँख मिचौनी खेले जीते हैं बेहाली में,अब भी टुकड़े-टुकड़े मिलते बेटी के अखबारों में‘ के साथ समाज की वर्तमान हालत पर कटाक्ष किया। डा.मीरा भारद्वाज ने अपनी रचना ‘बेटी‘ सुनाते हुए कहा‘आज अच्छा लगा,बिना आहट उसका यूँ आना,आकर बाहें फैलाना‘,डा.सुशील कुमार त्यागी ने गीत ‘जो तूने दिये गम लिये जा रहा हूँ, मैं आँखों से आँसू पिये जा रहा हूँ‘,डा.कल्पना कुशवाहा ‘सुभाषिनी‘ ने गीत ‘इन शब्दों की माला पिरो कर गीत मेरे तुम बन जाओ‘ सुना कर महफिल लूटी तो व देवेन्द्र मिश्र ने‘सभी को साथ लेकर ही नया भारत हमें गढ़ना‘ सुना कर माहौल में देश प्रेम का रंग घोला। कार्यक्रम के अंत में विशिष्ट अतिथि गोविन्द बल्लभ भट्ट ने जीवन में ध्यान और सत्संग के महत्व का बखान किया।
होलिकोत्सव के अवसर पर सरस काव्य गोष्ठी का आयोजन
हरिद्वार। होलिकोत्सव महापर्व के रंगों व उमंगों से परिपूर्ण वातावरण में एक सरस काव्य गोष्ठी का आयोजन वरिष्ठ कवि,साहित्यकार तथा चेतना पथ के प्रकाशक व संपादक अरुण कुमार पाठक के टिहरी विस्थापित कालोनी (रानीपुर) पर किया गया। देर शाम तक चली इस गोष्ठी में नगर के अनेक प्रतिष्ठित कवि एवं कवियित्रियों ने अनेक विषयों पर अपनी-अपनी रचनाएँ पढ़ कर खूब तालियाँ बटोरी। कवि देवेन्द्र मिश्र तथा श्रीमती कंचन प्रभा गौतम द्वारा संयुक्त रूप से संचालित,इस कवि गोष्ठी का शुभारम्भ माँ वाग्धीश्वरी के सम्मुख दीप प्रज्जवलन व पुष्पांजलि द्वारा उद्घाटन आर्मी पब्लिक स्कूल,रायवाला (जिला-देहरादून) की प्रधानाचार्या व कवियित्री कैप्टन श्रीमती दीक्षा शर्मा ने किया। गोष्ठी का आरम्भ डा. सुशील कुमार त्यागी ‘अमित‘ की वाणी वंदना ‘वरदात्री वाग्देवि विदुषी विशारदे माँ, मात तेरी महिमा से जग ये महान है‘ से हुआ। इसके बाद डा. दीक्षा शर्मा ने अपनी रचना ‘दिग्भ्रमित राही की राहों को उजागर कर चले, तुम के हृदय को चीरते तुम रात भर जगते चले‘ के साथ ‘प्रलय की रात‘ प्रस्तुत की। अरुण कुमार पाठक ने अपनी गजल ‘कैसे कह दूँ कि मुलाकात नहीं होती है, रोज मिलते हैं,मगर बात नहीं होती है‘ पेश की, प्रेम शंकर शर्मा ‘प्रेमी‘ ने ‘शक्ति शिरोमणि नारी जग में, मौलिकता इसकी पहचान‘ के साथ नारी शक्ति को नमन किया,तो श्रीमती कंचन प्रभा गौतम ने ‘नारी इस सृष्टि की जननी,नारी है मानव आधार, नारी जग की पालनहारी, नारी देवे सब जग तार‘के साथ नारी शक्ति का महिमा मंडन किया। कार्यक्रम की अध्यक्षा श्रीमती नीता नय्यर ‘निष्ठा‘ने व्यंग्यबाण छोड़ने के अलावा माहिया छंदों की बौछार भी की। डा.अशोक गिरि ने ‘गरीबी को हर जगह में देखा है मैंने, गलियों में नाचते-गाते हुए, सड़कों पर हाथ फैलाते हुए‘ के साथ निबलों व वंचितों की दशा बयाँ की तो अरविन्द दुबे ने ‘रोटी आँख मिचौनी खेले जीते हैं बेहाली में,अब भी टुकड़े-टुकड़े मिलते बेटी के अखबारों में‘ के साथ समाज की वर्तमान हालत पर कटाक्ष किया। डा.मीरा भारद्वाज ने अपनी रचना ‘बेटी‘ सुनाते हुए कहा‘आज अच्छा लगा,बिना आहट उसका यूँ आना,आकर बाहें फैलाना‘,डा.सुशील कुमार त्यागी ने गीत ‘जो तूने दिये गम लिये जा रहा हूँ, मैं आँखों से आँसू पिये जा रहा हूँ‘,डा.कल्पना कुशवाहा ‘सुभाषिनी‘ ने गीत ‘इन शब्दों की माला पिरो कर गीत मेरे तुम बन जाओ‘ सुना कर महफिल लूटी तो व देवेन्द्र मिश्र ने‘सभी को साथ लेकर ही नया भारत हमें गढ़ना‘ सुना कर माहौल में देश प्रेम का रंग घोला। कार्यक्रम के अंत में विशिष्ट अतिथि गोविन्द बल्लभ भट्ट ने जीवन में ध्यान और सत्संग के महत्व का बखान किया।