भगवान श्रीकृष्ण का ही स्वरूप है श्रीमद्भागवत कथा-पंडित पवन कृष्ण शास्त्री

 


हरिद्वार। श्री राधेश्याम संकीर्तन मंडली के तत्वावधान में ज्वालापुर में आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के प्रथम दिवस पर कथा व्यास श्री राधा रसिक बिहारी भागवत परिवार सेवा ट्रस्ट के संस्थापक भागवताचार्य पंडित पवन कृष्ण शास्त्री ने कथा का श्रवण कराते हुए बताया कि श्रीमद्भागवत महापुराण श्रीकृष्ण का ही स्वरूप है। द्वापर युग के अंत में जब भगवान श्रीकृष्ण धराधाम से जाने लगे और कलयुग आने वाला था तो समस्त देवी देवताओं, ऋषि, मुनि, संतों, ब्राह्मणों ने भगवान की स्तुति की। उद्धव एवं मैत्रीय मुनि ने भगवान श्री कृष्ण से कहा कि भगवन आप जा रहे हैं और कलयुग आ रहा है। कलयुग में मनुष्य पाप की ओर अग्रसर रहेगा। सभी का मन अशांत रहेगा। ऐसे में कैसे मन को शांति मिलेगी एवं धर्म कैसे स्थापित रह पाएगा। तब भगवान श्रीकृष्ण ने कहा कि वे भागवत के रूप में सदा सर्वदा इस पृथ्वी पर विराजमान रहेंगे। आप जन-जन में भागवत का प्रचार करो।जिस घर परिवार में श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया जाएगा,जो भागवत कथा का श्रवण करेगा। उसके मन को परम शांति प्राप्त होगी एवं उसका धर्म निरंतर बढ़ता रहेगा। उसकी समस्त मनोकामनाएं वे पूर्ण कराएंगे। इसके बाद देखते ही देखते भगवान का दिव्य शरीर दिव्य ज्योति के रूप में परिणित हो गया और भागवत ग्रंथ में प्रविष्ट हो गया। तभी से प्रभु कृपा प्राप्ति के लिए एवं धर्म की स्थापना के लिए भागवत कथाओं का आयोजन किया जाता है। शास्त्री ने बताया कि श्रीमद्भागवत कथा मनुष्य का कल्याण करती है। यदि मृतक आत्माओं के निमित्त भी इस कथा का आयोजन किया जाता है तो मृतक आत्मा भी कथा के प्रभाव से मोक्ष को प्राप्त हो जाती है। उन्होंने बताया कि धुंधकारी प्रेत योनि में था। गोकर्ण ने धुंधकारी की मुक्ति के लिए श्रीमद्भागवत कथा का आयोजन किया,कथा के प्रभाव से धुंधकारी प्रेत योनि से मुक्त होकर मोक्ष को प्राप्त हुआ। मुख्य जजमान आनंद तनेजा,रंजना तनेजा,अनमोल तनेजा,तारावती चावला,हेमंत चावला,अर्चना चावला,सनी चावला,सुप्रिया चावला,नमन चावला,ललित चावला, पवित्र चावला,दिनेश कुमार अरोड़ा,वंदना अरोड़ा, कमलेश अरोड़ा,नीलम अरोड़ा, यथार्थ अरोड़ा आदि ने श्रीमद् भागवत पुराण का पूजन किया।