आखिर भेल उपनगरी मे बच्चो के स्कूल बंद के कगार पर क्यों ?

स्कूल बंदी का मूल कारण भेल की माली हालत पतली होना 

 हरिद्वार। (डॉ हिमांशु द्विवेदी) भेल प्रबंधन द्वारा उपनगरी स्थित स्कूल एक-एक कर बंद करने का निर्णय ले रहा है। भेल कारखाने मे घटती कर्मचारिओं की संख्या और भेल के हालात् किसी से छिपे नही है। उपनगरी बड़ी संख्या मे मकान खाली है। वही मकानो की जर्जर हालत किसी से छिपी नही है। भेल ने मकानो की मरम्मत का बजट ना के बराबर कर दिया है। और सफाई का बजट कम होने से भेल उपनगरी मे चारों तरफ गंदगी के अंबार लगे रहते हैं। भेल मे कर्मचारिओं की संख्या कुल 3 हजार से भी कम रह गई है। ऐसे मे स्कूल की संख्या कम होनी लाजमी है। वहीं सभी स्कूल का समस्त खर्च भेल प्रबंधन को ही उठाना पड़ता है। पूर्व मे भेल प्रबंधन ने सबसे पहले के वी-2 को बंद किया,तत्पश्चात् विधामंदिर हायर सैकेंडरी स्कूल को फिर,विधामंदिर इंटर कॉलेज, और कई प्राईमरी स्कूल को बंद किया गया है। अब केंद्रीय विधालय, और बाल भारती स्कूल को बंद करने की योजना है। भेल अपने खर्चों मे कटौती की पूरी योजना बना चुका है। भेल परिसर भविष्य मे सभी विधालय बंद होंगे। भेल के विधालयों को संचालित करने वाली संस्था ई एम बी द्वारा अध्यापकों का वेतन भी दो महा तक नही दिया गया था। वेतन हरिद्वार के सांसद के हस्तक्षेप से दिया गया था। केंद्रीय विद्यालय समेत भेल द्वारा संचालित सभी विद्यालयों का खर्च भेल प्रबंधन द्वारा ही उठाया जाता रहा है। विद्यालय के बंद होने से बच्चो के आभिभावक परेशान है और भेल की श्रमिक संगठन भी आंदोलन कर मांग कर रहे है कि भेल विधालय बंद ना करे। लेकिन भेल प्रबंधन को इस बात कतई परवाह नही है। उन्हे तो बस खर्चों मे कमी करनी है। भेल लाख छिपाये पर भेल के हालात किसी से छिपे नही है। इसे निजीकरण की कड़ी से जोड़ कर देखा जा रहा है। उसी कड़ी मे भेल हरिद्वार का अस्पताल भी पी पी मोड पर जाने की भी चरचायें जोरों पर हैं।