अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण सम्मेलन में पारित प्रस्ताव केन्द्र सरकार को भेजा जायेगा-स्वामी शिवानंद

 हरिद्वार। मातृ सदन के स्वामी शिवानंद महाराज ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय पर्यावरण सम्मेलन में पारित किए गए प्रस्ताव को इस संकल्प के साथ केंद्र सरकार के पास भेजा गया है कि वह इस पर तत्काल कार्यवाही करें। जिसमें मोदी सरकार ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद के 194दिनों तक अनशन के समय जिन बातों को स्वीकार किया था, जिसमें उन सभी चार परियोजनाओं को सिंगरौली भटवारी,फाटा व्यूंग,तपोवन विष्णुगाड,विष्णुगाड पीपलकोटी को तत्काल रुप से बंद करने और आने वाले सभी परिजनों को रद्द करने का आश्वासन दिया था। इसके साथ सानंद को दिए वादे के अनुसार गंगा में खनन बंद हो, गंगा की रक्षा के लिए निष्पक्ष भक्त परिषद एक्ट बने और गंगा एक्ट पास हो। स्वामी शिवानंद ने कहा कि मातृ सदन को आशा है कि भारत सरकार के प्रधानमंत्री अपने वादे के अनुसार कार्य करेंगे, ऐसा नहीं होने पर एवं मातृ सदन उन्हें संघर्ष के लिए तैयार हैं। आश्रम आश्रम में आयोजित पत्रकार वार्ता को संबोधित करते हुए स्वामी शिवानंद ने कहा कि गंगा, हिमालय और उत्तराखंड बचाने के लिए आयोजित अंतर्राष्ट्रीय पर्यावरण सम्मेलन में देश विदेश के लोग जुटे, लेकिन सीएम धामी हरिद्वार में होने के बावजूद भी नहीं पहुंचे। स्वामी शिवानंद ने कहा कि सम्मेलन में पारित प्रस्तावों को इस प्रस्तावना संकल्प में संकलित किया गया है कि जिसका उद्देश्य है कि सरकार इन पहलुओं पर गहनता से विचार कर इन्हें नीति निर्माण में शामिल करें, इस सम्मेलन में पारित संकल्प समाज के शिक्षित वर्गों का मत है,जों विकास के नाम पर विध्वंसक विनाश नहीं,अपितु प्राकृतिक संपदा का उसके मूल स्वरूप में संरक्षण चाहता है। स्वामी शिवानंद ने कोर्ट की भूमिका पर भी सवाल उठाए। कहा कि कोर्ट की ओर से बांध परियोजनाओं पर स्टे क्यों नहीं लगाया गया? बांध कैसे बनते जा रहे हैं? क्या स्टे की परिभाषा बदल गई है? माननीय उत्तराखंड हाई कोर्ट पर्यावरण को बचाने के लिए उठाए गए कि शो को पेंडिंग पर पेंडिंग में डालता चला जाता है। उत्तराखंड में सैकड़ों परियोजनाएं हैं जो पर्यावरण संरक्षण अधिनियम 1986 के सेक्शन पाइप का उल्लंघन करती है उन पर चर्चा क्यों नहीं की जाती? स्वामी शिवानंद ने कहा माननीय कोर्ट के जवाब दें कि वह न्याय के लिए है या सरकार के लिए। उन्होंने जोशीमठ आपदा के लिए एनटीपीसी और एनएमसीजी को भी जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा एनएमसीजी जवाब दें कि जोशीमठ में सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट क्यों नहीं बनाया गंजा में बहते हजारों सीवेज नाली पर क्यों नहीं कोई एक्शन लिया, गंगा में मछलियों के बढ़ने की झूठी रिपोर्ट को क्यों स्वीकार किया। एनएमसीजी द्वारा अपने 9 नवंबर 2018 की आदेश का अक्षरस अनुपालन सुनिश्चित नहीं किया गया। उन्होंने कहा एलएनटी कंपनी ने खतरे को भांपते हुए ने जोशीमठ में खुदाई कार्य करने से मना कर दिया था। लेकिन एनटीपीसी ने वहीं कार्य कर जोशीमठ को विनाश के कगार पर धकेल दिया। स्वामी शिवानंद ने कहा उत्तराखंड सरकार को सूझाव देते हुए कहा कि उत्तराखंड में देवत्व को पुनः बहाल करें, गंगा को अविरल बहने दे। ऐसा होने पर उत्तराखंड बचेगा और भारत वास्तविक रूप से विश्व गुरु बनेगा।