ट्रेनीज ने सीखे जनता से मधुर व्यवहार और व्यक्तित्व विकास के गुर

 सेवानिवृत्त पुलिस महानिरीक्षक ने दिया व्यवहारिक अनुभव से परिपूर्ण व्याख्यान


हरिद्वार। सेवानिवृत्त पुलिस महानिरीक्षक पूरण सिंह रावत के द्वारा सशस्त्र प्रशिक्षण केंद्र हरिद्वार में प्रधान आरक्षी नागरिक पुलिस पदोन्नति प्रशिक्षण प्राप्त कर रहे 245 प्रशिक्षुओं को जनता से पुलिस का व्यवहार और सकारात्मक व्यक्तित्व विकास से सम्बंधित उपयोगी व्याख्यान दिया गया। व्याख्यान से पहले मोहन लाल पुलिस उपाधीक्षक प्रशिक्षण द्वारा श्री रावत का पुष्प गुच्छ भेंट कर स्वागत और अभिवादन किया गया। ततपश्चात पुलिसजनों का जनता से व्यवहार सम्बंधित विषय पर बोलते हुए श्री रावत द्वारा अपने व्यवहारिक अनुभवों पर आधारित व्याख्यान के दौरान बताया गया की पुलिस को जनता से व्यवहार करते समय अपने आपको शासक मानने के बजाए जनता का सेवक एवं रक्षक समझते हुए व्यवहार करना चाहिए। जब भी कोई जनता का पीड़ित व्यक्ति आपके पास अपनी समस्या लेकर आये तो सदैव यह कल्पना करें की यदि उस पीड़ित व्यक्ति की जगह आप स्वंय होते तो पुलिस से किस प्रकार के व्यवहार और सहायता की अपेक्षा करते। उंसके बाद पीड़ित व्यक्ति से आप वही व्यवहार करें जिसकी आप स्वंय के लिये उम्मीद कर रहे हैं। व्यक्तित्व विकास के सम्बंध में श्री रावत द्वारा उदाहरण देते हुए बताया गया कि एक समय ऐसा था कि जब पूर्वी जर्मनी की ओलंपिक खेलों की टीम अपनी जनसंख्या के अनुपात में दुनिया में सर्वाधिक ओलंपिक पदक जीतती थी। जब कारणों का पता किया गया तो ज्ञात हुआ कि जर्मनी की टीम के कोच और सहयोगी स्टाफ अपने खिलाड़ियों का हमेशा उत्साह वर्धन करते हुये लगातार मनोबल बढ़ाते रहते थे और उन्हें बोलते रहते थे कि आप दुनिया के सर्वश्रेष्ठ खिलाड़ी हो और इस बार आपकी स्पर्धा का स्वर्ण पदक आपको ही मिलेगा। इसी प्रकार खिलाड़ी भी आपस में एक दूसरे को सकारात्मक रूप से ओलंपिक प्रतियोगिता के लिये प्रोत्साहित करते रहते थे, जिस वजह से सभी खिलाड़ी प्रतियोगिता के दौरान बिना किसी मानसिक दबाव को महसूस किए पूरे आत्मविश्वास के साथ प्रतिभाग करते और सर्वाधिक पदक जीतते थे। श्री रावत ने समझाया कि हमे हमेशा अपना व्यवहार सकारात्मक रखना चाहिए क्योंकि सकारात्मक व्यक्ति अपने आस पास का माहौल सकारात्मक ऊर्जा से भरकर रखता है, जिससे स्वयं और दूसरों की कार्यक्षमता में व्रद्धि होती है। अल्बर्ट आइंस्टीन ने अभी तक सर्वाधिक अपने दिमाग का इस्तेमाल किया है और एक से बढ़कर एक बेमिसाल खोज एवं रिसर्च की। इसलिए किसी का पद या पैसा उसकी उन्नति के रास्ते प्रशस्त नही करता बल्कि उसके अपने दिमाग के अधिकाधिक इस्तेमाल की क्षमता उंसके उन्नति के रास्ते खोलती है। संस्थान की उपप्रधानाचार्या सुश्री अरुणा भारती के द्वारा श्री रावत का व्याख्यान के रूप में दिए गए उनके अमूल्य समय के लिये धन्यवाद और आभार ज्ञापित किया गया। व्याख्यान के दौरान निरीक्षक सजंय चौहान, प्रतिसार निरीक्षक नरेश जखमोला, एच0डी0आई0 संदीप नेगी, सूबेदार मेजर राजेन्द्र प्रशाद लखेड़ा आदि मौजूद रहे।