हरिद्वार। इण्टरनेशल गुडविल सोसायटी ऑफ इण्डिया, हरिद्वार चौप्टर के अध्यक्ष इंजी. मधुसूदन आर्य की अध्यक्षता में एक बैठक रानीपुर मोड़ स्थित रॉयल प्लाजा काम्पलेक्स में आयोजित की गयी। बैठक की अध्यक्षता करते हुए इंजी.मधुसूदन आर्य ने कहा कि गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय की स्थापना 1902 में कांगड़ी ग्राम में हुई। 1962 में गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय को डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी का दर्जा भारत के संसद के द्वारा दिया गया था। वहीं 1989 में केन्द्रीय वेतनमान भारत सरकार द्वारा लागु कर दिया गया। तभी से लेकर अब तक डीम्ड टू बी यूनिवर्सिटी का दर्जा बरकरार है। उन्होंने केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान से मांग की है कि गुरुकुल कांगड़ी को केन्द्रीय विश्वविद्यालय का दर्जा दिलाया जाए। सोसायटी के प्रान्तीय उपाध्यक्ष जगदीश लाल पाहवा ने भारत सरकार से मांग करते हुए कहा है कि विश्व पटल पर हरिद्वार का नाम धार्मिक स्थल के रूप में जाना जाता है। मगर शिक्षा के क्षेत्र में मात्र एक गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय है जिसे भारत सरकार द्वारा डीम्ड यू बी यूनिवर्सिटी का दर्जा प्राप्त है। उन्होंने कहा कि गुरुकुल में बिजनौर,मुरादाबाद,पौड़ी, मुजफ्फरनगर,बागपत,बड़ौत,शामली और सहारनपुर के अलावा देशभर के विभिन्न क्षेत्रों से छात्र एवं छात्राएं शिक्षा ग्रहण करने के लिए आते हैं। विश्वविद्यालय में डीम्ड यूबी यूनिवर्सिटी का दर्जा होने से पढ़ाई केन्द्र सरकार के मापदण्डों के अनुसार संचालित है। इसलिए गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय को केन्द्रीय विश्वविद्यालय बनाने के लिए भारत सरकार को नई पहल करनी चाहिए। सोसायटी के उपाध्यक्ष महेन्द्र आहुजा ने कहा कि उत्तराखण्ड में मात्र हेमवती नन्दन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय एकमात्र केन्द्रीय विश्वविद्यालय है।सांसद डा0 रमेश पोखरियाल निशंक को भारत सरकार से मांग करनी चाहिए कि गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय को केन्द्रीय विश्वविद्यालय बनाया जाए। सर्वेश गुप्ता ने कहा कि गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय ने देश की आजादी में विशेष अलख जगायी थी, मगर भारत सरकार द्वारा अभी तक इस विश्वविद्यालय को केन्द्रीय विश्वविद्यालय नहीं बनाया गया है। बैठक में जितेन्द्र कुमार शर्मा,राजीव राय,मनीषा दीक्षित,सुरेश चन्द्र गुप्ता,अंजली माहेश्वरी,अरविंद सिंह,डा0अतर सिंह ,डा0पी0के0 शर्मा,एडवोकेट गोपाल शर्मा,एडवोकेट प्रशान्त राजपूत, एस0एस0 राणा,विमल कुमार गर्ग,विनोद मित्तल आदि उपस्थित रहे।
गुरूकुल कांॅगड़ी विश्वविद्यालय को केन्द्रीय विवि का दर्जा देने की मांग