मानव विकास मे शोध सदैव उपलब्धि का केन्द्र बिन्दु रहा है-प्रो.डागर

 हरिद्वार। शोध मानव विकास से जुडे चरणों मे सदैव उपलब्धि का केन्द्र बिन्दु रहा है। हमारे शोध-ग्रन्थ इसका प्रमाणित उदाहरण है। युवा वैज्ञानिकों को आज की जरूरत के अनुसार अपने शोध को व्यवहारिक महत्व देने की आवश्यकता है। गुरूकुल कांगडी समविश्वविद्यालय, हरिद्वार के शारीरिक शिक्षा एवं खेल विभाग मे शोध कार्य कर रहे युवा वैज्ञानिकों के शोध प्रस्तुतिकरण के अवसर पर पूर्व डीन एवं शोध निर्देशक प्रो.आरकेएस डागर ने प्री.पीएचडी के छात्रों को प्रस्तुतिकरण के अवसर पर अपने सम्बोधन मे यह बात कही। शारीरिक शिक्षा एवं खेल विभाग के सभागार मे शोध प्रस्तुतिकरण के अवसर पर प्रो.डागर ने कहा कि जीवन को सरल एवं प्रगतिशील बनाने के लिए शोध प्राथमिक आवश्यकता बन गया है। योग एवं शारीरिक शिक्षा संकाय के डीन प्रो.सुरेन्द्र कुमार ने कहा कि शोध तथा प्रगति एक दूसरे के साथ समायोजित है। बढती जनसंख्या तथा आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए नवीन शोध कार्यो पर जोर देने की जरूरत है। जिसके लिए युवाओं पर जिम्मेदारी बढ गई है। प्रभारी डा.अजय मलिक के संयोजन मे कार्यक्रम का संचालन हुआ। कार्यक्रम मे डा.शिवकुमार चौहान ने प्रो.डागर का शॉल ओढाकर स्वागत किया। इस अवसर पर प्रो.विनय कुमार, डा.अरूण कुमार, डा.शिवकुमार चौहान,डा.कपिल मिश्रा,डा.अनुज कुमार,डा.विपुल भटट,डा.प्रणवीर सिंह, सुनील कुमार आदि उपस्थित रहे।