मां के सभी नौ स्वरूपों की पूजा करने भक्तों का कल्याण होता है-स्वामी कैलाशानंद गिरी
हरिद्वार। निरंजन पीठाधीश्वर आचार्य महामण्डलेश्वर स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा है कि सनातन संस्कृति में देवी को ऊर्जा का स्रोत माना गया है और अपने भीतर की उर्जा जगाना ही देवी उपासना का मुख्य प्रायोजन है। श्री दक्षिण काली मंदिर में आयोजित नवरात्र उत्सव के चैथे दिन श्रद्धालु भक्तों को देवी उपासना का महत्व समझाते हुए स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज ने कहा कि नवरात्रों में मां के सभी नौ स्वरूपों की पूजा करने से भक्तों का कल्याण होता है। दुर्गा पूजा और नवरात्र मानसिक शारीरिक और अध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक हैं। इन सबके मूल में है मनुष्य का प्रकृति से तालमेल। जो जीवन को नई सार्थकता प्रदान करता है। मां भगवती संपूर्ण नवरात्र अपने भक्तों पर कृपा बरसा कर उन्हें सुख समृद्धि प्रदान करती है और संपूर्ण सृष्टि में एक नई ऊर्जा का संचार होता है। इस ऊर्जा को प्राप्त करने के लिए संयम व नियम से व्रत का पालन करते हुए श्रद्धापूर्वक मां की उपासना करनी चाहिए। स्वामी कैलाशानंद गिरी के शिष्य स्वामी अवंतिकानन्द ब्रह्मचारी ने बताया कि नवरात्र उत्सव के उपलक्ष्य में गुरूदेव स्वामी कैलाशानंद गिरी महाराज द्वारा प्रतिदिन विभिन्न प्रकार के पुष्पों से मां श्री दक्षिण काली का अदभुत श्रंगार किया जाता है। मां के दर्शन व पूजन के लिए आने वाले बड़ी संख्या में भक्त मंदिर में आते हैं और मां का आशीर्वाद प्राप्त कर अपना जीवन सफल बनाते हैं।