असाध्य रोगों की सफल चिकित्सा मर्म चिकित्सा के माध्यम से की जा सकती है-डाॅ0जोशी

 हरिद्वार। वर्तमान समय भारतीय पारंपरिक वैदिक चिकित्सा पद्धतियों का है। वेदोक्त मर्म चिकित्सा को आज पूरे विश्व ने मान्यता दी है। योग के साथ मर्म चिकित्सा को पाठ्यक्रम में सम्मिलित करने वाला योग विज्ञान विभाग प्रथम है। ये बात उत्तराखंड आयुर्वेद विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ सुनील कुमार जोशी ने सात दिवसीय योग एवं वैदिक चिकित्सा पद्धतियां विषय को लेकर आयोजित राष्ट्रीय कार्यशाला में कही। उन्होंने कहा कि योग के आसन एवं मुद्राओं के अभ्यास से स्वतः ही मर्मों का उपचार हो जाता है। असाध्य रोगों की सफल चिकित्सा मर्म चिकित्सा के माध्यम से की जा सकती है। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए गुरुकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. रूपकिशोर शास्त्री ने कहा कि गुरुकुल में सात दिनों तक चली इस कार्यशाला में जो प्रशिक्षण प्रतिभागियों को प्रदान किया गया है, वह निश्चित रूप से पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों के माध्यम से चिकित्सा प्रदान करने सहायक सिद्ध होगा। गुरुकुल की संस्कृति, शिक्षा और ज्ञान-विज्ञान की आवश्यकता संपूर्ण विश्व को है। गुरुकुल के पास देने के लिए बहुत कुछ है जिसे समाज में प्रसारित किया जाना आवश्यक है। विशिष्ट अतिथि प्रो. ईश्वर भारद्वाज ने कहा कि योग के द्वारा चिकित्सा करने का प्रचलन तीव्रता के साथ आगे बढ़ रहा है। कार्यशाला के संयोजक डॉ ऊधम सिंह ने कहा कि चिकित्सक का जीवन सेवा को समर्पित होता है। चिकित्सा से जुड़ना स्वयं एवं समाज का उत्थान करने जैसा है। व्याख्यान देने वालों में प्रो आरसी दुबे, प्रो. देवेश शुक्ला, प्रो उत्तम कुमार, डॉ दीनदयाल, डॉ अमृत लाल, डॉ वंदना श्रीवास्तव, डॉ सचिन कुमार रहे। जिसमें योग चिकित्सा, यज्ञ चिकित्सा, मर्म चिकित्सा,पंचकर्म, एक्यूप्रेशर, प्राणिक हीलिंग, प्राकृतिक चिकित्सा आदि से उपचार करना सिखाया गया।