हिन्दुस्तान की कुश्ती के स्वरूप को विश्व पटल पर एक मजबूत पहचान प्रदान करती है

 हरिद्वार। गुरूकुल कांगड़ी समविश्वविद्यालय के कुलसचिव डॉ0 सुनील कुमार का कहना है कि शक्ति तथा तालमेल हिन्दुस्तान की कुश्ती के स्वरूप को विश्व पटल पर एक मजबूत पहचान प्रदान करती है। प्राचीन समय से कुश्ती भारतीय ग्रामीण परिवेश की मनोरंजनात्मक एवं कुशलता का केंद्र रही है। तकनीकि बारिकियों के साथ कुश्ती का वर्तमान स्वरूप भारत की कुश्ती का मिला-जुला अंग है। यह बात कुलसचिव डॉ. सुनील कुमार ने विश्वविद्यालय की कुश्ती टीम के ऑल इंडिया टूर्नामेंट मे रवाना होने के अवसर पर व्यक्त किये। सचिव क्रीडा परिषद डॉ. अजय मलिक ने बताया कि वर्ष 2018 में विश्वविद्यालय कुश्ती टीम ने यूनिवर्सिटी नेशनल टूर्नामेंट में कांस्य पदक जीतकर विश्वविद्यालय का मान बढ़ाया था। एसोसियेट प्रोफेसर डॉ. शिवकुमार चैहान ने बताया कि ग्रीको रोमन तथा फ्री-स्टाईल दोनों शैलियों में विश्वविद्यालय की कुश्ती टीम भाग ले रही है। टीम कोच सुनील कुमार ने कहा कि चैधरी बंशीलाल विवि, भिवानी ने आयोजित होने वाले इस नेशनल टूर्नामेंट में विश्वविद्यालय कुश्ती के 11 पहलवान भाग ले रहे हैं। टीम मैनेजर डॉ. अनुज कुमार ने बताया कि यह टूर्नामेंट 7 से 10 मार्च तक भिवानी (हरियाणा) मे आयोजित किया जा रहा है। विश्वविद्यालय कुश्ती टीम के सदस्यों को संकायाध्यक्ष प्रो. सुरेंद्र कुमार, डॉ. कपिल मिश्रा, डॉ. प्रणवीर सिंह, कनिक कौशल, दुष्यंत राणा, अश्वनी कुमार, संतोष रॉय आदि ने भी बधाई दी।