चैत्र अमावस्या के मौके पर श्रद्वालुओं ने लगाई डुबकी,पितरों के निमितृ किये श्राद्व कर्म


हरिद्वार। चैत्र अमावस्या के मौके पर गुरूवार को हर की पौड़ी सहित हरिद्वार के विभिन्न गंगा घाटों पर लाखों तीर्थयात्रियों ने गंगा स्नान किए। गंगा स्नान के बाद बड़ी संख्या में श्रद्वालुओं ने अपने-अपने पितरों के निमित्त तर्पण,पिंडदान आदि किया। इस दौरान प्रशासन की ओर से सुरक्षा के खास इंतजामात किये गये थे। गुरूवार को मध्यान्ह व्यापिनी चैत्र अमावस्या पर हरिद्वार के विभिन्न गंगा घाटों पर लाखों तीर्थ यात्रियों ने गंगा में डुबकी लगाकर पुण्य का लाभ लिया। गुरूवार को चतुर्दशी में अमावस्या होने के कारण हर की पौड़ी, मालवीय घाट ,ओम घाट पंतदीप घाट, गणेश घाट, कश्यप घाट आदि कई घाटों में बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं ने गंगा में स्नान किया और अपने पितरों के निमित्त पिंडदान तर्पण और ब्राह्मणों को भोजन आदि करवा कर पुण्य का लाभ कमाया। नारायणी शिला मंदिर, हरिद्वार के मुख्य आचार्य पंडित मनोज कुमार त्रिपाठी ‘‘शास्त्री‘‘ने बताया कि गुरूवार को मध्यान्ह व्यापिनी अमावस्या होने के कारण मध्यान्ह 12ः30 बजे से अमावस्या आ गई थी। पंडित श्री शास्त्री के अनुसार जिन लोगों ने अपने पितरों का श्राद्ध, श्राद्धपक्ष में नही किया हो तो उनके द्वारा आज के दिन किए गए तर्पण, पिंडदान, ब्राह्मण भोज, और गो ग्रास आदि से श्राद्धपक्ष में किए गए पिंडदान,तर्पण के समान ही पुण्य फल मिलता है और व्यक्ति पित्र दोष से मुक्त हो जाता है। उनका कहना है कि आज के दिन नारायणी शिला मंदिर ही नहीं अपने घर पर भी तर्पण, पिंडदान ,ब्राह्मण भोजन और गोग्रास आदि करने से भी व्यक्ति पित्र दोष से मुक्त हो जाता है और व्यक्ति को पुण्य फल की प्राप्ति होती है। पंडित मनोज कुमार त्रिपाठी के अनुसार आज चतुर्दशी में अमावस्या आई है और पित्र कार्यों के लिए आने वाली तिथि ली जाती है और देव कार्यों के लिए उदया तिथि लेने का प्रावधान शास्त्रों में किया गया है। इसलिए आज और कल मध्यान्ह 12ः00 बजे तक अमावस्या में पितरों के निमित्त पिंडदान, तर्पण, ब्राह्मण भोज और गोग्रास आदि श्रेष्ठ फलदायी हैं।