निस्वार्थ भाव से काम करने वाला व्यक्ति समाज को संगठित एवं सक्रिय बनाने मे कामयाब हो सकता
हरिद्वार। अहम का भाव किसी भी समाज के पतन का मुख्य कारण है। निस्वार्थ भाव से काम करने वाला व्यक्ति समाज को संगठित एवं सक्रिय बनाने मे कामयाब हो सकता है। गुरूकुल कांगडी विश्वविद्यालय के पूर्व कुलसचिव प्रो. भारत भूषण वेदालंकार ने यह उदगार अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा की प्रदेश कार्यकारिणी के एक कार्यक्रम मे बतौर अध्यक्ष यह बात कही। प्रो. भारत ने कहा कि समानता का अधिकार अहम को दूर करके परस्पर सहयोग की भावना को बढाता है। व्यक्ति को अपने अहम को छोडकर संगठन की शक्ति को बढाने मे अपना योगदान देना चाहिये। जिससे प्रगति के नये रास्ते बनते है। प्रदेश अध्यक्ष ठाकुर यशपाल सिंह राणा ने कहा कि आज सभी को सचेत होने की जरूरत है। अन्यथा वर्तमान स्थिति के लिए आने वाली पीढ़ी हमें कभी माफ नहीं करेगी। प्रदेश महासचिव डॉ शिवकुमार चैहान ने कहॉ कि समाज की विघटनकारी परस्थिति तथा अलगाववाद को दूर करने के लिए संगठन स्तर पर प्रयास करने की जरूरत है। योगेन्द्रपाल सिंह राठौर एवं लोकेन्द्र पाल सिंह ने पुरातन सम्पदाओं के संरक्षण एवं उनके इतिहास को संजोने की जरूरत पर बल दिया। इस अवसर पर वरिष्ठ उपाध्यक्ष प्रेमसिंह राणा, महेन्द्र सिंह नेगी, डॉ बिजेन्द्र सिंह, सुशील पुंडीर, अजय चैहान, मदनपाल सिंह पुण्डीर, स्वामी प्रेम विक्रम, दिनेश सिंह, रविकिशोर चैहान, राजीव चैहान, पंकज कुमार, राजेश चैहान, सुधीर सिंह आदि उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन अजय चैहान द्वारा किया गया।