हरिद्वार। नशा समाज में एक व्यापक मुद्दा बन गया है। युवा वर्ग लगातार नशे के जाल में फंस रहा है। नशा न केवल एक जिंदगी बर्बाद करता है। बल्कि पुरे परिवार को नष्ट कर देता है। नशे के गंभीर मुद्दे को लेकर हाईकोर्ट के अधिवक्ता और भारतीय जागरूकता समिति के अध्यक्ष ललित मिगलानी से बातचीत में उन्होंने नशे से समाज व परिवार पर होने वाले दुष्प्रभावों और इसके कानूनी पहलुओं पर विस्तार से जानकारी दी। एडवोकेट ललित मिगलानी ने कहा कि नशे को लेकर कानून काफी कठोर है। जो व्यक्ति नशे की खरीद-फरोख्त करते हुए पकडे जाते हैं। कानून में उनके खिलाफ काफी सख्त सजा का प्रावधान है। कानून में ऐसे लोगो के लिये 10 साल से लेकर उम्रकैद और भारी जुर्माने का भी प्रावधान किया गया है। कानून की धारा 15 के अंतर्गत यदि कोई व्यक्ति किसी भी वजह से एनडीपीएस एक्ट अथवा सम्बंधित लाइसेंस रूल्स का उल्लंघन करता है तो इस कार्य को दंडनीय माना जाता है। पापी स्ट्रा (पोस्ता) से सम्बंधित उल्लंघन के मामलों, 50 किलोग्राम से अधिक मात्रा पाए जाने पर मिनिमम 10 साल तक सजा और अधिकतम 20 साल तक कारावास की सजा हो सकती है और एक लाख से दो लाख के बीच में जुर्माना लगाया जा सकता है। एनडीपीएस एक्ट की धारा 21 ड्रग के उत्पादन और निर्माण के संबंध में निश्चित की गई है और इसमें भी कमोबेश सजा उसी प्रकार की रखी गई है, जैसी उपरोक्त धाराओं में है, लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि किसी भी तरह के ड्रग का उत्पादन करने पर भारत का एनडीपीएस एक्ट कठोर रुख अख्तियार करता है। एनडीपीएस एक्ट की धारा 22 में किसी भी नशे के प्रोडक्ट हेतु मिले लाइसेंस की शर्तों का उल्लंघन प्रतिबंधित करता है, तो धारा 23 भारत में नशीली दवाओं के आयात निर्यात के लिए सजा निर्धारित करता है। एनडीपीएस एक्ट की धारा 24 इसी संबंध में नशीले पदार्थों के बाहरी लेनदेन के लिए कड़ा रुख अख्तियार करती है, तो धारा 25 यह बताती है कि अगर किसी एक जगह पर यह कारोबार किया जाता है अर्थात अगर आपका अपना घर या कोई जगह, अपनी कोई गाड़ी इस तरह के कारोबार के लिए देते हैं तो कड़ी सजा के हकदार हो सकते हैं। धारा 26 किसी भी लाइसेंसधारी अथवा उसके नौकर द्वारा किये गए उल्लंघन हेतु सजा निश्चित करती है, जिसमें सरकार को गलत सूचनाएं देना भी शामिल है।एनडीपीएस एक्ट की धारा 27 किसी भी नशीली दवा के सेवन से संबंधित है और इसे प्रतिबंधित किया गया है। 27 ‘क‘ में इस प्रकार के अवैध व्यापार को प्रतिबंधित किया गया है और इसका वित्त पोषण करने वाले अपराधियों के लिए कड़े दंड का प्रावधान किया गया है।एडवोकेट ललित मिगलानी ने कहा कि बच्चों को नशे से बचाने में माता पिता की अहम भूमिका है। माता पिता को बच्चों की गतिविधि, संगत और उनके खर्च पर नजर रखनी चाहिए। एडवोकेट ललित मिगलानी ने समाज को संदेश देते हुए कहा कि नशा मीठे जहर की तरह है। जो ऊपर से अच्छा लगता है,लेकिन अन्दर से व्यक्ति, परिवार और समाज को खत्म कर देता है। इसलिए किसी भी प्रलोभन और विश्वास में ना आएं।
नशे के प्रचलन पर रोक के लिए जागरूकता की जरूरत