सनातन संस्कृति में ऋतु परिवर्तन खानपान सुधारने का संदेश देते है-स्वामी विज्ञानानंद

 हरिद्वार। श्री गीता विज्ञान आश्रम ट्रस्ट के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती जी महाराज ने कहा है कि सनातन संस्कृति के पर्व ऋतु परिवर्तन और खानपान सुधारने का संदेश देते हैं। ऋतु परिवर्तन के समय खानपान एवं जीवनशैली का परिवर्तन स्वस्थ मानव जीवन के लिए आवश्यक है। वे आज विष्णु गार्डन स्थित श्रीगीता विज्ञान आश्रम में जया एकादशी एवं कुंभ संक्रांति के अवसर पर पधारे श्रद्धालुओं को आशीर्वचन दे रहे थे। बसंत ऋतु में पड़ने वाली कुंभ संक्रांति का महत्व समझाते हुए उन्होंने कहा कि सनातन धर्म के पर्व न केवल धर्म एवं अध्यात्म का संदेश देते हैं बल्कि मानव स्वास्थ्य को उत्तम रखने की भी प्रेरणा देते हैं। एकादशी व्रत का महत्व समझाते हुए उन्होंने कहा कि उपवास से पाचन तंत्र को आराम मिलता है जिससे वह संपुष्ट और नवीन कार्यऊर्जा से ओतप्रोत हो जाता है। प्रत्येक व्यक्ति यदि सप्ताह में एक व्रत न रख सके तो उसे महीने में दो या कम से कम एक व्रत अवश्य रखना चाहिए। वर्ष में दो बार आने वाले नवरात्र एवं प्रत्येक माह की एकादशी को व्रत रखने वालों का जीवन स्वस्थ एवं चिरायु हो जाता है। भगवान और प्रकृति को एक बताते हुए उन्होंने कहा कि भगवान ने सभी को प्रकृति के नियमों का पालन करने का संदेश दिया है लेकिन आधुनिक मानव भौतिक सुख साधनों में उलझ कर प्रकृति को भुला रहा है,इसीलिए उसका जीवन कष्टप्रद होता जा रहा है। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं को सनातन धर्म एवं संस्कृति के सापेक्ष जीवन यापन करने का संदेश देते हुए कहा कि जो स्वयं को भगवान के हवाले कर देता है , प्रभु उसका संरक्षण करते हैं और जो दूसरों के सुखी जीवन की कामना करता है भगवान सबसे पहले उसी को सुख और समृद्धि प्रदान करते हैं।