राष्ट्र व विकास के नाम पर धुव्रीकरण करने की आवश्यकता -योगगुरू स्वामी रामदेव

 पतंजलि योगपीठ में मनाया गया देश का 73वाँ गणतंत्र दिवस


हरिद्वार। पतंजलि योगपीठ सहित सम्बद्व सभी संस्थानों में देश का 73वाँ गणतंत्रा दिवस हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इस अवसर पर स्वामी रामदेव तथा आचार्य बालकृष्ण ने पतंजलि योगपीठ-एक में ध्वजारोहण कर समस्त देशवासियों को गणतंत्र दिवस की शुभकामनाएँ पे्रषित कीं। इस अवसर पर स्वामी रामदेव ने कहा कि आज ज्ञानशक्ति, सैन्य शक्ति, कृषि, दुग्ध उत्पादन, आई.टी. आदि कई क्षेत्रों में देश बहुत आगे निकल चुका है, लेकिन भारत की सबसे बड़ी दुर्बलता है जातिवाद। देश आज मजहबी उन्माद में फँसा हुआ है। जाति और सम्प्रदाय के नाम पर ध्रुवीकरण देश की एकता, अखण्डता व सम्प्रभुता के लिए बहुत बड़ा खतरा है। इसलिए हमें राष्ट्र व विकास के नाम पर धुव्रीकरण करने की आवश्यकता है। उन्होने किया कि हमें तमाम प्रकार के उन्मादों से बाहर निकलकर संकल्प लेना होगा कि भारतीयता ही मेरी जाति होनी चाहिए, भारत और भारतीयता व राजधर्म ही सभी का धर्म होना चाहिए। स्वर्गीय सी.डी.एस. बिपिन रावत व स्वर्गीय कल्याण सिंह आदि महापुरुषों को मरणोपरांत पद्म पुरुस्कार से सम्मानित किए जाने पर स्वामी जी महाराज ने कहा कि पूरा राष्ट्र आज उनका कृतज्ञ है जिन्होंने देश के लिए जीवन को जीया और ऐसे महापुरुषों को जब भी ऐसे पुरुस्कार दिए जाते हैं तो इन पुरुस्कारों का भी गौरव बढ़ता है। कोरोना संक्रमण पर उन्होने कहा कि दो साल से पूरी दुनिया में सन्नाटा था। पूरा मेडिकल साइंस मिलकर भी कोरोना की कोई दवा नहीं बना पाया। केवल एक वैक्सीन बनाई गई है जो कि मात्रा रोकथाम है जबकि सर्वप्रथम पतंजलि ने कोरोना की दवा बनाई और अब हमने ओमिक्राॅन पर भी पूरा अनुसंधान कर लिया है और इसकी भी 100 प्रतिशत औषधि तैयार कर ली है। गणतंत्र दिवस समूह में समवेत रूप से जो सामूहिक एक नियम व व्यवस्था में बंधने का संकल्प है। यदि हम व्यवस्था में होते हैं तो राष्ट्र का निर्माण होता है, परिवार में एकरूपता व प्रेम बढ़ता है, जीवन भी उन्नत, पवित्रा, दिव्य व महान हो जाता है। उन्होंने कहा कि गणतंत्र दिवस मनाते समय हमारे भीतर नियम, मर्यादा व व्यवस्था की बात होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि देश के 73वें गणतंत्रा दिवस पर हम संकल्प लें कि कत्र्तव्य निर्वहन के लिए हम प्राणपण से स्वयं को अर्पण करेंगे। हम अधिकार नहीं, जिम्मेदारी के लिए तत्पर रहेंगे। आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि राष्ट्र के लिए जीवन देना तो बड़ी बात है ही किन्तु एक संकल्प के लिए पूरा जीवन लगाना, जीवन का पल-पल संकल्प के लिए आहूत कर देना उससे भी बड़ा कार्य है। हमें प्रयास करना है कि विविध सेवा कार्यों में आलस्य, प्रमाद, स्वार्थ के कारण कोई न्यूनता न रह जाए। इस कार्य में योग हमारी सहायता करेगा क्योंकि योग आत्मानुशासन सिखाता है। इस अवसर पर पतंजलि योगपीठ-फेज एक एवं दो राजीव दीक्षित भवन, भारतीय शिक्षा बोर्ड, पतंजलि अनुसंधान संस्थान, गौशाला कृषि फार्म, दिव्य नर्सरी, भरूआ सोल्यूशन, दिव्य फार्मेसी-डी-28, 29, 30,पतंजलि आयुर्वेद लि.-डी-38, पतंजलि फूड एवं हर्बल पार्क आदि सभी संस्थानों के इकाई प्रमुख, अधिकारीगण व कर्मचारी, पतंजलि विश्वविद्यालय, पतंजलि आयुर्वेद काॅलेज, आचार्यकुलम्, पतंजलि गुरुकुलम् के समस्त प्राध्यापकगण व छात्र-छात्राएँ, ब्रह्मचारिगण, पतंजलि संन्यासाश्रम के संन्यासी भाई व साध्वी बहनें उपस्थित रहे।