भारत की महान विभूति थे ब्रह्मलीन स्वामी हंसप्रकाश महाराज-श्रीमहंत रविन्द्रपुरी
हरिद्वार। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष एवं श्री पंचायती अखाड़ा महानिर्वाणी के सचिव श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा है कि धर्म के संरक्षण संवर्धन में संत महापुरुषों ने सदैव अग्रणी भूमिका निभाई है और महापुरुषों का जीवन सदैव ही समाज हित में समर्पित रहता है। प्राचीन अवधूत मण्डल आश्रम में ब्रह्मलीन स्वामी हंसप्रकाश महाराज की पुण्यतिथि पर आयोजित श्रद्धांजलि समारोह को अध्यक्ष पद से संबोधित करते हुए श्रीमहंत रविंद्रपुरी महाराज ने कहा कि भारत की महान विभूति ब्रह्मलीन स्वामी हंसप्रकाश महाराज एक विद्वान एवं तपस्वी संत थे। जिन्होंने अपने कुशल व्यवहार एवं आचरण के माध्यम से समाज को धर्म का सकारात्मक संदेश प्रदान किया और युवा पीढ़ी को संस्कारवान बनाकर धर्म के प्रति जागृत किया। राष्ट्र निर्माण में उनका अतुल्य योगदान कभी भुलाया नहीं जा सकता। इस अवसर पर सभी तेरह अखाड़ों के संत महापुरुषों के सानिध्य में ब्रह्मलीन स्वामी हंसप्रकाश महाराज को श्रद्धांजलि अर्पित की गयी। महामंडलेश्वर स्वामी हरिचेतनानंद गिरी महाराज एवं महामण्डलेश्वर स्वामी ललितानंद गिरी महाराज ने कहा कि महापुरुष केवल शरीर त्यागते हैं। उनकी शिक्षाएं सदैव समाज को जागृत कर मार्गदर्शन करती हैं। महामंडलेश्वर स्वामी भगवत स्वरूप महाराज एवं श्री पंचायती अखाड़ा बड़ा उदासीन के कोठारी महंत दामोदर दास महाराज ने कहा कि ब्रह्मलीन स्वामी हंसप्रकाश महाराज संत समाज के प्रेरणास्रेत थे। सभी को उनके जीवन से प्रेरणा लेकर समाजसेवा का संकल्प लेना चाहिए। महंत जसविन्दर सिंह महाराज एवं महामण्डलेश्वर स्वामी कपिल मुनि महाराज ने कहा कि संतों का जीवन निर्मल जल के समान होता है और स्वामी हंसप्रकाश महाराज तो साक्षात त्याग एवं तपस्या की प्रतिमूर्ति थे। अवधूत मण्डल आश्रम के परमाध्यक्ष महामण्डलेश्वर स्वामी रूपेंद प्रकाश महाराज ने सभी संत महापुरूषों का आभार व्यक्त किया। इस अवसर पर महंत दुर्गादास, महंत विष्णुदास, स्वामी रवि देव शास्त्री,महंत कमलदास,महंत प्रबोधानंद गिरी,सरदार गुरमुख सिंह,स्वामी गुरूदेव प्रकाश,महंत राजेंद्रदास, महंत निरंजन दास,महंत गंगादास उदासीन, बाबा हठयोगी,महंत विष्णु दास, महंत प्रह्लाद दास,स्वामी संतोषानंद महाराज,महंत दामोदरशरण दास,सहित समाजसेवी जगदीशलाल पाहवा, आईडी शास्त्री, डा.विशाल गर्ग, सहित बड़ी संख्या में संत महापुरुष उपस्थित रहे।