कर्मयोग का संदेश देती है गोवर्धन पूजा-स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती

 हरिद्वार। गीता मनीषी महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती महाराज ने कहा है कि गोवर्धन पूजा निराकार के स्थान पर साकार की पूजा और भाग्यवाद के स्थान पर कर्मयोग की प्रेरणा देती है। विष्णु गार्डन स्थित श्रीगीता विज्ञान आश्रम में गोवर्धन पूजा के उपलक्ष में आयोजित अन्नकूट महोत्सव में पधारे श्रद्धालुओं को भगवान श्रीकृष्ण की वाणी पर रचित गीता को विश्व का सर्वमान्य ग्रंथ बताते हुए उन्होंने कहा कि किसी भी व्यक्ति को भाग्य के भरोसे न रह कर कर्म करना चाहिए और कर्म करने से ही व्यक्ति का भाग्य प्रवल होता है। गोवर्धन पूजा का महत्व समझाते हुए उन्होंने कहा कि देवराज इंद्र का अभिमान तोड़ने के लिए भगवान श्री कृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी उंगली पर उठाकर ब्रजमंडल की रक्षा की थी। निराकार के स्थान पर साकार की पूजा को सुखद परिणामदायी बताते हुए कहा कि माता-पिता तथा गुरु के साथ ही व्यक्ति सृष्टि के सभी जीवधारियों को भगवान का अंशावतारी समझकर प्रेम करे तो उसका जीवन सार्थक, सुखी एवं समृद्धशाली बन जाता है। भगवान को लगाए जाने वाले छप्पन भोग का महत्व बताते हुए उन्होंने कहा कि प्रकृति की सभी वनस्पतियां अमृततुल्य हैं और नाना प्रकार की इन औषधियों को जब कोई साधक संयुक्त रूप से प्रसाद रूप में ग्रहण करता है तो उसके उदर के समस्त विकार दूर हो जाते हैं। इसीलिए अन्नकूट पर लगने वाले छप्पन भोग का प्रसाद पाने के लिए सभी भक्त एक वर्ष तक इंतजार करते हैं और यह प्रसाद भी उसी को प्राप्त होता है जिस पर भगवान श्रीहरि की कृपा होती है तथा भगवान की यह कृपा गुरु के माध्यम से ही प्राप्त हो सकती है। पूजापरांत सभी श्रद्धालुओं ने अन्नकूट महोत्सव का प्रसाद ग्रहण कर अपना- अपना अंतःकरण पवित्र किया।