खनन को लेकर सरकार के आदेश के खिलाफ मातृसदन जायेगा हाईकोर्ट
हरिद्वार। मातृ सदन के संस्थापक स्वामी शिवानंद सरस्वती ने कहा है कि गंगा में खनन रोकने के लिए मातृ सदन हाई कोर्ट मे याचिका दायर कर रहा है। साथ ही उत्तराखंड सरकार की खनन व क्रशर नीति को लेकर दिसंबर के दूसरे सप्ताह में एक राष्ट्रीय स्तर का सेमीनार आयोजित किया जाएगा। बुधवार को मातृ सदन में पत्रकारों से बातचीत में स्वामी शिवानंद गंगा में खनन को लेकर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद पर जमकर बरसे। स्वामी शिवानंद ने कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत के समय गंगा में जमकर खनन किया गया था। आज राजनीति में उनकी हालत सबके सामने है। जिस नेता ने गंगा का दोहन किया वह अधिक दिन तक सत्ता में नहीं टिका। उन्होंने आरोप लगाया कि धामी और यतीश्वरानंद गंगा का जमकर दोहन कर रहे हैं। यही वजह है कि धामी सरकार ने खनन नीति में बदलाव करते हुए पॉकलैंड मशीन से भी खनन की अनुमति दे दी है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री बनने से पहले धामी हरिद्वार में यतीश्वरानंद के साथ देखे जाते थे। दोनों नेता पहले से ही खनन प्रेमी रहे हैं। स्वामी शिवानंद ने कहा कि गंगा के अस्तित्व को नष्ट करने में जो लोग शामिल हैं उनका पर्दाफाश करके ही वे दम लेंगे। खनन को लेकर कहीं कोई अध्ययन नहीं किया जाता है। अध्ययन करके जो रिपोर्ट तैयार की जाती है सरकार उसे अनदेखा कर देती है। उन्होंने कहा कि गंगा में जितना अधिक दोहन होगा उतनी आपदा राज्य के उपर आएगी। सरकार खनन को लेकर मनमर्जी के आदेश जारी कर रही है। एक तरह से सरकार ने खनन चोरी करने का लाइसेंस जारी कर दिया है। मातृ सदन इन आदेशों को कोर्ट में चुनौती देने के साथ नेता व अधिकारियों पर कार्रवाई की भी मांग करेगा। स्वामी शिवानंद ने कहा कि गंगा की बर्बादी में हरिद्वार का पंडा, पुरोहित व संत समाज चुप्पी साधे रहता है। इसलिए ये सबसे बड़े दोषी हैं। जितना ये समाज चुप रहेगा उतनी ही इनकी भी बर्बादी तय है। क्योंकि गंगा जब तक बह रही है तभी तक इनका काम चलता रहेगा। गंगा के अस्तित्व को बचाने के लिए इन सभी को मुंह खोलना होगा।