स्वामी सच्चिदानन्द पंचतत्व में विलीन पूर्ण विधि-विधान से उनका अंतिम संस्कार सम्पन्न

 हरिद्वार। उत्तरी हरिद्वार की प्रख्यात धार्मिक संस्था श्री विशुद्धानन्द आश्रम के परमाध्यक्ष स्वामी सच्चिदानन्द जी महाराज का ब्रेन हेमरेज के चलते विगत रात्रि निधन हो गया था। बुधवार को खड़खड़ी श्मशान घाट पर उनके शिष्य स्वामी रामानन्द ने संत समाज व गणमान्यजनों की उपस्थिति में पूर्ण विधि-विधान से उनका अंतिम संस्कार सम्पन्न किया। स्वामी सच्चिदानन्द जी महाराज (72 वर्ष) वर्ष 1974 में श्री विशुद्धानन्द आश्रम के महंत बने थे। तीन दिन पूर्व ब्रेन हेमरेज होने के चलते उन्हें एम्स हाॅस्पिटल ऋषिकेश में भर्ती कराया गया था जहां विगत देर रात्रि उनका निधन हो गया। उनके निधन का समाचार मिलते ही संत समाज व देश भर में फैले हुए उनके अनुयायी व शिष्य उत्तरी हरिद्वार खड़खड़ी स्थित विशुद्धानन्द आश्रम पर उमड़ पड़े। समूचे क्षेत्र में शोक की लहर व्याप्त हो गयी। म.मं. स्वामी हरिचेतनानन्द जी महाराज ने कहा कि गरीब दासीय परम्परा से जुड़े स्वामी सच्चिदानन्द जी महाराज सरल प्रवृत्ति के सच्चे साधु थे। उन्हांेने देश के अनेक स्थानों पर आश्रमों की स्थापना कर धर्म प्रचार का कार्य किया। उनके निधन से संत समाज ने एक वरिष्ठ संत खो दिया है। लाल माता मंदिर के संचालक भक्त दुर्गादास ने कहा कि लाल माता मंदिर की स्थापना में स्वामी सच्चिदानन्द जी महाराज का महत्वपूर्ण योगदान रहा। भाजपा पार्षद दल के उपनेता अनिरूद्ध भाटी ने कहा कि स्वामी सच्चिदानन्द जी महाराज त्याग, तपस्या की साक्षात् प्रतिमूर्ति थे। खड़खड़ी श्मशान घाट पर उनके सुयोग्य शिष्य स्वामी रामानन्द ने उन्हें मुखाग्नि प्रदान की। इस दौरान स्वामी परमात्मदेव, स्वामी ज्ञानानन्द, पूर्व पालिकाध्यक्ष सतपाल ब्रह्मचारी, स्वामी ऋषिश्वरानन्द, स्वामी कृष्णानन्द, रवि देव शास्त्री, महंत दिनेश दास, भक्त दुर्गादास, स्वामी योगेन्द्रानन्द, स्वामी सच्चिदानन्द, कमल मुनि, स्वामी प्रेमानन्द, हरेन्द्र मुनि, प्रेमदास, ओमानन्द, वीरेन्द्र दास, प्रकाशानन्द, भाजपा पार्षद दल के उपनेता अनिरूद्ध भाटी, पार्षद विनित जौल, महावीर वशिष्ठ, अनिल वशिष्ठ, अंकेश भाटी, दीपांशु विद्यार्थी, प्रमोद कुमार, सकलदेव समेत देशभर से आये उनके सैकड़ों अनुयायी व शिष्यगण उपस्थित रहे। भाजपा प्रदेश अध्यक्ष मदन कौशिक ने भी स्वामी सच्चिदानन्द जी महाराज के निधन पर गहन शोक व्यक्त करते हुए कहा कि भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार में स्वामी सच्चिदानन्द जी महाराज की महत्वपूर्ण भूमिका रही।