’भेल प्रबंधिका की चुप्पी से गलत परम्परा की शुरुआत का खतरा।
हरिद्वार। भेल की खाली पड़ी भूमि पर किसी धर्मस्थल द्वारा भूमि कब्जाने का मामला सामने आया है। महीनों से भेल की भूमि पर तारबाड़ लगा कर भूमि कब्जाने का कार्य किया जा रहा था। लेकिन मामले में भेल के किसी भी अधिकारी और श्रमिक यूनियन ने फिलहाल कोई ऐतराज तक नहीं उठाया। जबकि भेल प्रबंधिका के पास सम्पदा विभाग की भरी भरकम फौज है जिसका काम अवैध कब्जो को रोकने का है। यदि कोई कब्जा करता है तो उसके खिलाफ कानूनी कार्यवाही कर खाली भी कराने की जिम्मेदारी है। इस मामले में नगर प्रशासक की ढील के क्या मायने निकाले जाएं। वहीं इसी बीच नगर प्रशासक का स्थानांतरण भी नागपुर हो गया है। गौरतलब है कि भेल प्रबंधिका ने सभी धर्मो के लिए मंदिर ,मस्जिद गुरुद्वारा ,चर्च आर्यसमाज, जैन ,वाल्मीकि समुदाय के लोगो को भी धर्मस्थल के लिए भूमि आवंटित की हुई है। उस पर धर्मस्थलों का निर्माण भी किया हुआ है। लेकिन यह पहला मौका है जब किसी धर्म स्थल की चार दीवार बनने के बावजूद तारबाड़ लगा कर अलग से भूमि कब्जाई गई है।और उत्तर दिशा में भी एक बड़ा दरवाजा भी खोल लिया है। जो कि पूरी तरह गलत और गैर कानूनी है। आपको बताते चले कि कुछ माह पूर्व एक धर्मस्थल ने भी मुख्य द्वार के अलावा पूरब दिशा में दरवाजा खोल दिया था जिसे प्रशासक ने मामला संज्ञान में आते ही बंद करवा दिया था।पर मजे की बात तो यह है महीनों से भूमि कब्जाने की प्रक्रिया चल रही है पर नगर प्रशासक मूक क्यों बने बैठे रहे। जिस धर्मस्थल ने अभी हाल में भूमि कब्जाई है उसके एक भाग में स्कूल चलता है। जिसने एक हाल बना कर उसे विवाह ,पार्टियों के लिए किराए पर भी देना शुरू कर दिया है। अब भेल की भूमि कब्जाने के पीछे क्या मनसा है यह समझ से परे है।जब इस बाबत भेल के कार्यवाहक नगर प्रशासक ए जी एम मानव संसाधन से बात करने का प्रयास किया तो घंटों फोन के बाद भी संपर्क नहीं हो पाया। लेकिन सूत्रों की माने तो मामला उनके संज्ञान में है। फिर भी वह धर्मस्थल के लोगो को कुछ भी कहने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहे है क्योंकि उस धर्म स्थल का प्रधान भेल के ई डी ऑफिस में अभियंता के पद पर तैनात है। सभी को डर सता रहा है कि कहीं बड़े साहब नाराज ना हो जाए।