21नवम्बर के बाद कोरोना का असर होगा समाप्ति की ओर-प्रो0देवी प्रसाद त्रिपाठी

 हरिद्वार। मानवाधिकार संरक्षण समिति एवं उत्तराखंड संस्कृत विश्वविद्यालय, हरिद्वार के संयुक्त तत्वावधान में‘‘कोरोना में ज्योतिषीय चिंतन‘‘ विषय पर वेबीनार का आयोजन किया गया। अध्यक्षता इं0 मधुसूदन आर्य ने की। विशिष्ट अतिथि उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो0 देवी प्रसाद त्रिपाठी ने कहा कि कोरोना ने मानव जाति को झकझोर कर रख दिया है। उन्होंने कहा वैज्ञानिक पूर्वानुमान लगा रहे है दूसरी लहर व तीसरी लहर आएगी। ज्योतिष शास्त्र में लोगों का पूर्ण ज्ञान न होने के कारण लोगों के अन्दर भ्रम पैदा कर फैलाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि पंचांगों में महामारी का स्पष्ट रूप से उल्लेख किया गया है लेकिन लोग उसको गम्भीरता से नहीं लेते हैं। बृहत संहिता में वर्णन आया है कि जिस वर्ष के राजा शनि होते है उस वर्ष में महामारी फैलती है। विशिष्ट संहिता अनुसार पूर्वा भाद्र नक्षत्र में जब कोई महामारी फैलती है तो उसका इलाज मुश्किल हो जाता है। उन्होंने कहा 21 नवम्बर 2021 के बाद इसका असर समाप्ति की ओर होगा। इं0 मधुसूदन आर्य ने वेबिनार की अध्यक्षता करते हुए कहा कि पिछले कुछ दिनों से कोरोना ने पूरे देश में हाहाकार मचा रखा है। ऑक्सीजन, बेड और दवाईयों के लिए लोग मारे-मारे फिर रहे हैं। विभिन्न शहरों में ऑक्सीजन की कमी से लोग दम तोड़ रहे हैं। ज्योतिषीय पक्ष से वर्तमान स्थितियों की गणना करें तो इन हालातों के लिए ग्रहों की परिस्थितियां भी जिम्मेदार हैं। मुख्य वक्ता प्रो0 प्रेम कुमार शर्मा, संकाय अध्यक्ष, वेद वेदांग संकाय, लाल बहादुर शास्त्री केन्द्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय, दिल्ली, ने कहा कि न्यायधीश शनि जब भी अपनी स्वराशि या सूर्य के उत्तराषाढा नक्षत्र में आते हैं, तो हाहाकार मचा देते हैं। संसार को बैलेंस में रखने की जवाबदारी शनि, राहु व केतु इन्हीं तीनों ग्रहों के पास है। आपदा एक प्राकृतिक या मानव निर्मित जोखिम का प्रभाव है जो समाज या पर्यावरण को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। आपदा शब्द ज्योतिष विज्ञान से आया है। इसका अर्थ होता है कि जब तारे बुरी स्थिति में होते हैं तब बुरी घटनायें होती हैं। उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय, हल्द्वानी के डा0 नन्दन तिवारी ने कहा कि ज्योतिश शास्त्र पारम्परिक शास्त्र है। कोरोना को उत्पाद के रूप में जानते हैं। कोरोना महामारी अप्राकृतिक है यह मनुष्य द्वारा निर्मित किया गया है। मनुष्य जो पाप करता है तो देवता अप्रसन्न होते हैं तो उत्पाद का जन्म होता है। उत्पाद जल्दी शान्त नहीं होता है तो सृष्टि उसको संतुलित करने के लिए इसका जन्म होता है। डाॅ0 प्रभाकर पुरोहित ने कहा कि भृतहरि ने कहा कि है कि अत्यधिक भोग से रोग होता है। वराहमिहिर कहते है अति लोभ करने से रोग उत्पन्न होगा। नारद संहिता में पहले ही कोरोना महामारी के फैलने और इसके खात्मा की भविष्यवाणी की गई है। आचार्य कल्की कृष्णन ने कहा कि ज्योतिष के 9 ग्रहों में राहु को भी एक छाया ग्रह के रूप में माना जाता है।  इसे ज्योतिष शास्त्र में दुःख का कारक माने जाने के साथ ही अशुभ माना गया है। कुंडली में राहु के अशुभ भाव में होने पर तमाम तरह की परेशानी आती है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब गुरु और केतु का समीकरण धनु राशि में बनता है तो किसी ना किसी प्रकार से बीमारियों का संक्रमण इस काल में बढ़ता है जिससे जान माल की काफी क्षति होती है।उत्तराखण्ड संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलसचिव डा० गिरिश कुमार अवस्थी ने वेबिनार में उपस्थित सभी महानुभावों का आभार व धन्यवाद ज्ञापन किया। इस अवसर पर शोभा शर्मा (बिजनौर), मूलचन्द्र मीणा, अशोक थपलियाल, प्रदीप सेमवाल, प्रो0 बिहारी लाल शर्मा(दिल्ली), अन्नपूर्णा बन्धुनी, राजीव राय, हेमन्त सिंह नेगी, रेखा नेगी, लायन एस0आर0 गुप्ता(नोएडा), विनोद कुमार अग्रवाल(बंबई), नवीन कमारछत्तीसगढ़ जगदीश बावला(देहरादून), नीलम रावत (देहरादून),हरभजन सिंह (दिल्ली), तरंजीत सिंहभसीन (दिल्ली), अर्चना सिंघल(दिल्ली), भर्ती सिंह (बिजनौर), शांतिस्वरूप गुप्ता (मेरठ), नानक चन्द्र गोयल (गाजियाबाद) सहित अन्य पदाधिकारी तथा संस्कृत विश्वविद्यालय के छात्र, छात्राएं उपस्थित रहे। वेबिनार का संचालन प्रो0 रतनलाल ने किया।