आसुरी प्रवृत्तियों की प्रबलता बढ़ने से धर्म कमजोर हो गया-स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती
हरिद्वार। श्री गीता विज्ञान आश्रम के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती महाराज ने कहा है कि युगांत का समय नजदीक है। कलयुग का अंत होगा और सतयुग पुनः आएगा। धरा धाम पर पाप और पापियों की संख्या बढ़ने पर प्रलय आता है और महामारी तूफान तथा बादल फटने की घटनाएं ही युगांत का संदेश दे रही हैं। स्वामी विज्ञानानन्द सरस्वती विष्णु गार्डन स्थित श्रीगीता विज्ञान आश्रम में दैनिक स्वाध्याय में सम्मिलित संतों एवं विद्यार्थियों को परिस्थितियों से सचेत रहने के लिए सावधानी बरतने का संदेश दे रहे थे। धर्म को कर्म की पवित्रता का पर्याय बताते हुए उन्होंने कहा कि हमारे ऋषि-मुनियों ने सतकर्मों को आत्मसात करने के लिए ही उनको धर्म से जोड़ा था। लेकिन कलियुग में आसुरी प्रवृत्तियों की प्रबलता बढ़ने से धर्म कमजोर हो गया। परिणाम स्वरुप मानवता और नैतिकता का पतन ही प्राणियों के प्राणांत का कारण बन रहा है। युग परिवर्तन को प्रकृति की सामान्य प्रक्रिया बताते हुए उन्होंने कहा कि ऐसा पहली बार नहीं हो रहा है। इससे पूर्व भी युग परिवर्तन के चक्र चलते रहे हैं। कोरोना जैसी महामारी के प्रति सतर्क रहने का आवाहन करते हुए उन्होंने कहा कि तप, त्याग और मानव धर्म का पालन करने वाले ही सतयुग में प्रवेश करेंगे। देवत्व का विकास होगा और आसुरी प्रवृत्तियों का शमन हो जाएगा। उन्होंने सभी संत एवं भगवत भक्तों को धर्म एवं प्रकृति के सापेक्ष जीवनयापन का संदेश देते हुए कहा कि भगवान उसी की रक्षा करते हैं जो अपना जीवन भगवान, मानवता और प्रकृति की सेवा में समर्पित कर देता है।