अतुलनीय प्रयास, अतुल्य गंगा परिक्रमा यात्रा के तीर्थनगरी पहुचने पर किया स्वागत
हरिद्वार। ज़िला सैनिक कल्याण एवं पुनर्वास अधिकारी कमाण्डर ए0 के0 चैधरी ने बताया कि ऐतिहासिक, भव्य और अतुलनीय प्रयास, अतुल्य गंगा परिक्रमा 3800 कि.मी. 132 दिनों में तय करके हरिद्वार पहुंची। माॅं गंगा की दुर्दशा से व्यथित सैनिकों ने अतुल्य गंगा के मुख्य उद्देष्य के रूप में मुण्डमाल गंगा परिक्रमा की संकल्पना की। परिक्रमा टीम के लीडर गोपाल शर्मा ने बताया कि गंगा तटों पर स्थित नागरिकों का प्यार अतुल्य गंगा टीम का मनोबल दोगुना कर रहा है। दल के 26 अप्रैल 2021 को हरिद्वार पहुंचने पर कमाण्डर आमोद कुमार चैधरी द्वारा उनका हार्दिक स्वागत और अभिनन्दन हुआ। कोविड-19 से सुरक्षा नियमों का पालन करते हुए दल के सदस्यों की कोविड जांच की व्यवस्था की गई। बुधवार को दल अपनी आगे की यात्रा पर ऋषिकेश के लिये प्रस्थान करेगा। 16 दिसम्बर को प्रयागराज से प्रारम्भ हुई, 6000 कि.मी. लम्बी और 8 महीने में पूरी होने वाली यह यात्रा विश्व की कठिनतम और सबसे लम्बी पदयात्रा है जिसका उल्लेख शास्त्रों में मिलता ज़रूर है लेकिन आजतक माॅं गंगा की ऐसी परिक्रमा कोई कर नहीं सका र्है। ये सैनिक और उनके अन्य साथी इस दुस्साहसिक यात्रा को पूरा करने की ठान चुके हैं और नगरों, गाॅवों, मैदानों से होते हुए, पर्वतों जंगलों और ग्लेषियर को लांघते हुए पूरी करके रहेंगे। यह यात्रा सिर्फ एक यात्रा नहीं है, यह एक ऐसा प्रण है जो गंगा मैया को फिर से निर्मल और अविरल करके ही हमें साॅंस लेने देगा। मिशन के चीफ़ काॅर्डिनेटर फ़ाॅर उत्तराखण्ड पंकज थापा ने बताया कि हम इस यात्रा के साथ ऐसे कई अभियान चला रहे हैं जिनके दूरगामी परिणाम होंगे और माॅं गंगा को उनका वैभव वापस दिलाएंगे। इस दल के मुख्य अभियान में प्रदूषण मापन. यात्रा के दौरान हर 10-15 कि.मी. पर गंगाजल की गुणवत्ता का वैज्ञानिक तरीक़े से अध्ययन किया जा रहा है जिसका विवरण वेबसाइट ूूूण्ंजनसलंहंदहंण्बवउ उपलब्ध है। दल का नेतृत्व भारतीय सेना के सेवानिवृत्त मेजर जनरल विनोद भट्ट, सेना मैडल, विषिष्ट सेवा मैडल कर रहे हैं। प्रदूषण स्रोतों की पहचान. गंगा नदी में गिरने वाले हर नाले की पहचान की जा रही है और प्रदूषण के ऐसे हर स्रोत का उसके जियो-लोकेशन के साथ विस्तृत डेटा तैयार किया जा रहा है। अब तक 600़ स्थानों पर प्रदूषण और स्रोतों का जायज़ा लिया जा चुका है। वृक्षमाल अभियान. पूरे परिक्रमा पथ पर पर्यावरण को संरक्षित तथा सम्वर्धित करने के उद्देश्य से वृक्षारोपण किया जा रहा है तथा स्थानीय अभिवावक नियुक्त कर उन लगाए गये पेड़ों की देखभाल सुनिष्चित की जा रही है। 11 वर्षों तक चलने वाली इस तपस्या के अंत तक आते-आते मांॅ गंगा वृक्षमाल से सुषोभित होंगी। अब तक 30000़ पेड़ लगाए जा चुके हैं। वृक्षमाल अभियान का नेतृत्व ग्रीन इंडिया फ़ाउन्डेषन द्वारा किया जा रहा है। जागरण अभियान. गंगा की दशा तभी सुधरेगी जब समाज का हर व्यक्ति उनकी चिंता करेगा। इसलिये पूरे परिक्रमा पथ पर इसी उद्देष्य हेतु जन जागरण करते हुए यह दल परिक्रमा पथ पर अग्रसर है। इस अवसर पर कमाण्डर आमोद कुमार चैधरी ने बताया कि इतना बडा़ प्रण और इतनी कठिन तपस्या समाज के हर सदस्य के सहयोग के बिना पूरी हो ही नहीं सकती। अतुलय गंगा परिक्रमा दल द्वारा माॅं गंगा की स्वच्छता के निमित्त इस साहसिक प्रयास से हम भाव-विहृल हैं और उनके ऋणी हैं। उन्होंने कहा कि इस अभियान का संदेष बहुत सरल है, हर हृदय को स्पर्श करेगा। ‘‘नदियां जीवन का अमूल्य आधार हैं जो देती हैं हमारे जीवन और कृषि के लिये पानी ओर संस्कति को छाया‘‘, ़िफर गंगा तो हमारी मांॅ है, हमारी पूजनीय देवी। अपने पूर्वजों और अपनी आने वाली पीढ़ियों का कर्ज़ है हम पर जिससे हम तभी मुक्त होंगे जब यह माॅं गंगा को पूर्णतया प्रदूषण मुक्त करके फिर से उन्हें उसी अलौकिक रूप में ले आएंगे।