त्रिकाल भवन्ता के समर्थन में आयी अखिल भारतीय ओबीसी महासभा
हरिद्वार। अखिल भारतीय ओबीसी महासभा ने महिला अखाड़े की प्रमुख त्रिकाल भवन्ता को हरकी पैड़ी पर आयोजित गंगा पूजन से उठाए जाने पर इसे संपूर्ण नारी समाज का अपमान बताते हुए देश भर में विरोध प्रदर्शन करने का ऐलान किया है। जमना पैलेस के समीप स्थित प्रदेश कार्यालय में पत्रकारों से वार्ता करते हुए अखिल भारतीय ओबीसी महासभा के राष्ट्रीय सचिव विजय सिंह पाल ने कहा कि स्वयं को संत कहने वाले एक अखाड़े के प्रमुख संत ने मां गंगा के तट पर महिला अखाड़े की प्रमुख त्रिकाल भवन्ता का जिस प्रकार अपमान किया है। वह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। हिंदू संस्कृति में महिलाओं को देवी स्वरूपा माना गया है। इतना ही नहीं राज्य के सबसे बड़े अधिकारी प्रमुख सचिव को भी अपमानित किया गया। गंगा पूजन के दौरान एक महिला संत को अपमानित करना किसी संत को शोभा नहीं देता। उन्होंने कहा कि महिलाओं के प्रति समाज को आदर व सम्मान का पाठ पढ़ाने वाले लोगों को महिलाओं के प्रति अपनी सोच अवश्य बदलनी चाहिए। ऐसी संकीर्ण मानसिकता किसी भी रूप से सहन नहीं की जाएगी। धर्मपाल सेन ने कहा कि महिला शक्ति से ही राज्य का गठन हुआ है। उत्तराखण्ड की गौरव गाथाओं में महिलाएं विशेष स्थान रखती हैं। देवी अहिल्याबाई होल्कर महाशक्ति पीठ के महासचिव वेद प्रकाश ने कहा कि सनातन परंपरांओं व हिन्दू संस्कृति का प्रचार प्रसार करने वाले संत महापुरूष सदैव ही समाज का मार्गदर्शन करते हैं। संत महापुरूषों द्वारा ही समाज में महिला संत के प्रति अशोभनीय व्यवहार किया गया। जोकि निंदनीय है। इसके पूर्व महासभा की ओर से महिला अखाड़े की प्रमुख त्रिकाल भवन्ता का स्वागत किया गया। इस अवसर पर वीरेंद्र पाल, नंदराम, राजेश प्रजापति, सुमन पाल, सोनम पाल, पंकज सैनी, अरूण कश्यप, राजाराम प्रजापति, मनोज सेन, रविन्द्र कश्यप, राहुल चैधरी आदि ने भी महिला संत के प्रति किए गए व्यवहार की कड़े शब्दों में निंदा की। वही परी अखाड़े की आचार्य महामंडलेश्वर साध्वी त्रिकाल भवंता ने आरोप लगाया कि आज देश मे हर तरफ महिलाओं के शोषण की घटनाएं बढ़ रही है जो चिंता का विषय है। खासकर धर्म क्षेत्र में महिलाओं और महिला संतो का आर्थिक, मानसिक और शारिरिक शोषण किया जा रहा है। उन्हें दबाया जा रहा है। तथाकथित पुरूष धर्माचार्यों द्वारा धर्म स्थानों को बेचा जा रहा है। पत्रकारों से बातचीत के दौरान त्रिकाल भवंता ने कहा कि धर्मस्थान और महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करना ही परी अखाड़े के मुख्य उद्देश्य है। इसलिए देश मे महिलाओं के अखाड़ो को भी मुख्य स्थान मिलना चाहिए। वही साध्वी त्रिकाल भवंता यह आरोप भी लगाया कि हरिद्वार महाकुंभ में कोई भी व्यवस्था परी अखाड़े को नहीं मिली है। इसके पीछे केवल अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष ही जिम्मेदार हैं। उन्हीं के इशारे पर प्रशासन काम कर रहा है। सरकार ने भी अखाड़ों को व्यवस्था तो दे दी लेकिन महिलाओं को व्यवस्था के नाम पर कुछ नहीं दिया। उन्होंने यह आरोप भी लगाया कि कुंभ मेले में पैसे की बंदरबांट की जा रही है। इसलिए वो सरकार से मांग करती है कि इस सब को रोकने के लिए सरकार कड़े कदम उठाए और व्यवस्था को सुधारे।