आत्मरक्षा और जीवन रक्षा प्रत्येक जीवधारी का प्रथम कर्तव्य -स्वामी विज्ञानानंद
हरिद्वार। श्री गीता विज्ञान आश्रम के परमाध्यक्ष महामंडलेश्वर स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती महाराज ने कहा है कि परमात्मा ही पूरे ब्रह्मांड का स्वामी है। जो सभी प्राणियों में समान रूप से विद्यमान रहता है। जाति धर्म और क्षेत्र के आधार पर बंटवारा करना मनुष्य की मानसिकता है। जबकि सनातन धर्म के किसी भी शास्त्र में इसका वर्णन नहीं है। स्वामी विज्ञानानंद सरस्वती महाराज विष्णु गार्डन स्थित श्री गीता विज्ञान आश्रम में कुंभ पर्व पर पधारे श्रद्धालुओं को धर्म एवं अध्यात्म की दीक्षा दे रहे थे। कुंभ पर्व की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि समुद्र मंथन के बाद से प्रचलन में आयी कुंभ परंपरा समाज में अमरता का समावेश करती है और जिस अमृत को प्राप्त करने के लिए देवता एवं दानवों में संग्राम का वातावरण बना था। वह आज संतों के सानिध्य में सहजता के साथ सुलभ हो जाता है। कुंभ पर किए जाने वाले स्नान, दान और ध्यान का महत्व बताते हुए उन्होंने कहा कि दान उसी को देना चाहिए जो दान ग्रहण करने का पात्र है तथा माता ,पिता, गुरु, ब्रह्म, मित्र, विनम्र, परोपकारी, दीन हीन तथा विशिष्टता रखने वाला व्यक्ति ही दान प्राप्त करने का पात्र होता है। जबकि इसके विपरीत आसुरी संपदा वाली सठ, खल कर्मी, धूर्त, मिथ्या चारी, चोर, चाटुकार जैसों को दान देने से अपयश की प्राप्ति होती है। कोरोना काल में पड़ रहे कुंभ पर्व पर विशेष सावधानी बरतने की हिदायत देते हुए उन्होंने कहा कि आत्मरक्षा और जीवन रक्षा प्रत्येक जीवधारी का प्रथम कर्तव्य है। उन्होंने सभी श्रद्धालुओं के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए कहा कि यह कुंभ और नया संवत वर्ष सभी के जीवन में खुशियों की सौगात लेकर आएगा।